हर राजनीतिक दल के नेता के लिए अपने कार्यकर्ताओं का उत्साह बढ़ाना जरूरी होता है। खासकर चुनाव के समय तो सभी को यह कहकर उत्साहित करना पड़ता है कि चुनाव तो हम ही जीत रहे हैं।वह अब तक चुनाव जीतते आएं हैं, ठीक हैं, इस बार उनको हम हरा देंगे। हमारे कार्यकर्ता ही उनके प्रत्याशी को हरा देंगे।कांग्रेस के प्रभारी महासचिव सचिन पायलट ने रायपुर की दक्षिण विधानसभा में प्रचार के दौरान जो कुछ कहा है, उसे इसी तरह लेना चाहिए।
उन्होंने कहा है कि कोई विधानसभा क्षेत्र किसी का गढ़ नहीं होता है।अयोध्या पर बड़ी बातें करने वालों ने वहां का परिणाम देखा है।पीएम नरेंद्र मोदी भी वहां छह लाख से डेढ़ लाख वोटों में सिमट गए हैं।कोई जनता का काम न करे तो उसका क्षेत्र उसका गढ़ नहीं रह जाता है, वह गड्ढ़ा हो जाता है।लगता है सचिन पायलट को किसी ने बताया नहीं है कि जिस जगह वह बड़ी बड़ी बातें कर रहे हैं, वह कोई पहले नेता नहीं है, इससे पहले भी कांग्रेस के बड़े बड़े नेता इस विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के जीतने का सपना देख चुके हैं लेकिन कांग्रेस का कोई प्रत्याशी पिछले चार चुनाव से तो बृजमोहन अग्रवाल को हरा नहीं पाया है।
हर बार बृजमोहन के खिलाफ कांग्रेस ने नया प्रत्याशी खड़ा किया इस उम्मीद में लोग नये प्रत्याशी को वोट देंगे और बृजमोहन को हरा देंगे लेकिन जनता ने हमेशा बृजमोहन का साथ दिया।सचिन पायलट को यह भी नहीं मालूम है कि इस चुनाव क्षेत्र से जो भी चुनाव लड़ता है, हारता जरूर है, और उसका राजनीतिक भविष्य भी चौपट हो जाता है, इसलिए इस विधानसभा सीट के कांग्रेस के बड़े नेता चुनाव नहीं लड़ते हैं कि हार गए तो बेइज्जती हो जाएगी, वह हारने वाले नए नए प्रत्याशी हर बार लेकर आते रहे और प्रत्याशी चुनाव हारता रहा।
सचिन पायलट को नहीं मालूम है कि इस विधानसभा क्षेत्र को भाजपा या बृजमोहन का गढ़ इसीलिए कहा जाता है कि यहां के भाजपा व बृजमोहन हमेशा चुनाव जीतते रहे हैं।कोई लगातार चुनाव इसीलिए जीतता है कि वह वहां के लोगों के बीच जाता है, उनके सुखदुख में उनके साथ खड़े रहता है, उनकी सुविधाओं का पूरा ख्याल रखता है। अगर बृजमोहन व भाजपा प्रत्याशी ने काम नहीं किया होता तो भाजपा यहां से अब तक कई बार हार चुकी होती। लगातार भाजपा जीत रही है,इसका मतलब यही है कि इस विधानसभा क्षेत्र के लोग भाजपा प्रत्याशी से संतुष्ट हैं।
सचिन पायलट उपचुनाव में बड़ी बड़ी बातें कर रहे हैं,वह इतने चुनाव जिताने वाले नेता है तो पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस कैसे हार गई। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस यह सीट भी तो हारी थी। सचिन पायलट को यहां का प्रभारी बनाया जरूर गया है लेकिन उनकी किसी चुनाव जिताने की योग्यता के लिए नहीं बनाया गया है। उनको राजस्थान से हटाना था, इसलिए छत्तीसगढ़ का प्रभारी बना दिया गया ताकि सचिन राजस्थान से बाहर रहेंगे तो कम से कम से दोनों एक दूसरे के खिलाफ कुछ करेंगे नहीं या कहेंगे नहीं ।
सचिन पायलट को जो काम सौंपा गया है, वह काम तो करना पड़ेगा, छत्तीसगढ़ आने पर प्रेस में कोई बयान तो देना पड़ेगा। तो सचिन पायलट ने बयान दे दिया कि कोई गढ़ नहीं होता, हम हर गढ़ जीत सकते हैं।अगर वह वाकई भी कांग्रेस को जिताने की क्षमता रखते हैं तो रायपुर दक्षिण से कांग्रेस प्रत्याशी को जिता कर दिखाएं। वैसे तो चुनाव का रिजल्ट आते तो सभी को यह हक होता है कि वह दावा करे कि जीत तो उसकी पार्टी रही है। हकीकत का पता रिजल्ट वाले दिन चलता है, जैसे हरियाणा में चला।
रिजल्ट आने तक कांग्रेस हरियाणा में जीत रही थी लेकिन रिजल्ट आया तो कांग्रेस चुनाव हार गई तो सचिन पायलट जैसे नेताओं के जमीनी सच्चाई से कटे रहने के कारण। सचिन पायलट अभी बड़ी बड़ी बातें कर रहे हैं चुनाव कांग्रेस हार जाएगी तो वही कहेंगे हार के कारणों का पता लगाने समिति बनाई जाएगी। पिछले चुनाव के हार के कारणों का कांग्रेस अब तक पता नहीं लगा सकी है। देखिए रायपुर उपचुनाव में क्या होता है। बोलने को तो सब अपनी जीत का बात कहते रहेंगे।
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