कोई भी राजनीतिक दल हो उसके लिए किसी प्रदेश में राजनीतिक हकीकत को जानने का सबसे अच्छा मौका होता है, वहां होने वाला उपचुनाव।उपचुनाव में हार-जीत से पता चलता है कि जनता किसके साथ है, विपक्ष के साथ है या सरकार के साथ है, जनता बदलाव चाहती है या बदलाव नहींं चाहती है। जनता बदलाव चाहती है तो सत्तारूढ़ दल के प्रत्याशी को हराती है और जनता बदलाव नहीं चाहती है तो सत्तारूढ़ दल के प्रत्याशी को जिताती है और साफ संदेश देती है कि वह किस राजनीतिक दल के बारे में क्या सोचती है।
गुजरात में विधानसभा चुनाव २०२७ के अंत में होने हैं।कांग्रेस ने अभी से गुजरात चुनाव लड़ने व जीतने की तैयारी शुरू कर दी है। पहली बार ऐसा हुआ है कि कांग्रेस एक साल से भी ज्यादा समय होने के बाद भी किसी राज्य में चुनाव के लिए संगठन को मजबूत करने के साथ चुनाव जीतने की तैयारी शुरू कर दी है। राहुल गांधी एक दो महीने में ही कई बार गुजरात का दौरा कर चुके हैं। वहां कांग्रेस को मजबूत करने के लिए गुजरात माडल बनाया गया है। अगर संगठन के मजबूत करने का गुजरात माडल सफल होता है तो इसका उपयोग दूसरे राज्यों में किया जाएगा।बिहार विधानसभा इस साल के अंत में होने वाले हैं लेकिन कांग्रेस बिहार से ज्यादा ध्यान गुजरात में दे रही है क्योंकि गुजरात में भाजपा के साथ उसका सीधा मुकाबला है।
दूसरी बात यह है कि गुजरात में भाजपा सरकार को तीस साल हो गए हैं।कांग्रेस तीस साल से हारती आ रही है इस बार उसको लगता है कि तीस साल की एंटी इनकंबेशी के कारण उसके लिए जीतना आसान होगा। जनता तो दस पंद्रह साल में राजनीतिक दल से ऊब जाती है, नाराज हो जाती है,यह पीएम का जादू है जो पिछले तीस साल से गुजरात की जनता के सिर चढ़कर बोल रहा है।गुजरात पीएम मोदी का गृहराज्य है, कांग्रेस गुजरात में भाजपा को हराने का मतलब यह मानती है कि उसने मोदी को हरा दिया। कांग्रेस की योजना है या सोच है कि गुजरात में भाजपा को हराकर पूरे देश में संदेश दिया जा सकता है कि पीएम मोदी अपराजेय नहीं है, उनको कांग्रेस हरा सकती है, गुजरात में हरा सकती है तो देश में भी हरा सकती है।
राहुल गांधी तीन लाेकसभा चुनाव में पीएम मोदी को नहीं हरा पाए है। देश के चुनाव में नहीं हरा पाए है यानी बड़े मैदान में तीन चुनाव हार चुके हैं तो राज्य के विधानसभा चुनाव में यानी छोटे मैदान में हराने की सोच रहे हैं। राहुल गांधी व उनकी सलाहकार मंडली की यह सोच हो सकती है। राहुल गांधी की इमेज तो अभी तक पीएम मोदी से चुनाव हारने वाले नेता की बनी हुई है, लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा,महाराष्ट्र, दिल्ली में कांग्रेस की निरंतर हार से राहुल गांधी का छवि मोदी से चुनाव हारने वाले नेता की बन गई है।इस छवि को बदलने का कम जोखिम वाला मौका गुजरात विधानसभा चुनाव को मान रहे हैं। क्योंकि किसी तरह से गुजरात विधानसभा किसी भी कारण से कांग्रेस जीतती है तो बड़ा संदेश देश में जाएगा कि राहुल गांधी ने पीएम मोदी उनके गृहराज्य में हरा दिया। राहुल गांधी गुजरात में मोदी काे हरा सकते हैं तोे देश के चुनाव में हरा सकते हैं।
कांग्रेस हार जाती है तो हमेशा की तरह कहा जाएगा कि गुजरात चुनाव निष्पक्ष नहीं हुए इसलिए कांग्रेस चुनाव हार गई। गुजरात में कांग्रेस को चुनाव साजिश कर हरवाया गया है। गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले गुजरात में दो सीटों पर उपचुनाव होेने हैं। कांग्रेस के लिए खुद का आकलन करने का बेहतरीन मौका है कि गुजरात की जनता ३० साल के मोदी शासन में मोदी से नाराज है तो कितनी नाराज है। क्या वह इतनी नाराज है कि भाजपा को हरा कर संदेश देना चाहती है कि हम मोदी से नाराज हैं। यही वजह है कि कांग्रेस के कमजोर संगठन को राहुल गांधी मजबूत करने के लिए एक के बाद एक दौरा कर रहे हैं, राहुल गांधी तो राहुल गांधी हैं उनको गुजरात के बचे खुचे कांग्रेस नेताओं व कार्यकर्ताओं को मोटीेवेट करना चाहिए तो वह गुजरात कांग्रेस के एक हिस्से को यह कहकर नाराज कर दिए हैं कि वे भाजपा से मिले हुए हैं, इसलिए चुनाव में भाजपा जीतती है और कांग्रेस हार जाती है।
दूसरे दौरे में उन्होंने गुजरात कांग्रेस नेताओ व कार्यकर्ताओं की तुलना घोड़ों से करते हुए कहा है कि जिस प्रकार तीन तरह के घोड़े होते है,एक रेस में दौड़ने वाले, दूसरे बारात में नाचने वाले, तीसरे लंगड़े घोड़े। उसी तरह गुजरात कांग्रेस में तीन तरह के नेता हैं, एक चुनाव जीतने वाले, दूसरे चुनाव हारने वाले, तीसरे चुनाव हराने वाले। अब गुजरात में चुनाव में टिकट उन्हीं को दिया जाएगा जो चुनाव जीतने वाले हैं, चुनाव हारने वालों और चुनाव हराने वालों की पहचान कर उनको पार्टी से निकाला जाएगा। इसमें पता नहीं कितना वक्त लगेगा क्योंकि ऐसा करने पर पार्टी में नए लोगों की भर्ती भी तो करनी होगी।कोई भी पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं को निकालने से तो मजबूत नहीं होती है। कोई भी पार्टी संगठन के तौर पर मजबूत तब होती है जब पार्टी के प्रति निष्ठावान व समर्पित नेता व कार्यकर्ता सदस्य बनाए जाते हैं।
पार्टी के प्रति निष्ठावान व समर्पित कार्यकर्ता ही तो आजकल नहीं मिलते हैं। सबसे मुश्किल काम भी तो यही है कि पार्टी के नेता व कार्यकर्ता पार्टी के प्रति निष्ठावान हो, समर्पित हों। चुनाव इन्हीं की बदौलत जीता जाता है।ऐसा नेता व कार्यकर्ता बनने में बरसों लगते हैं। आज सदस्य बनाया गया है तो कुछ दिन में यह निष्ठावान व समर्पित नेता व कार्यकर्ता नहीं बन जाते हैं। राहुल गांधी को गुजरात के लिए रेस में दौड़ने वाले और जीतने वाले घोडे़ चाहिए।कब मिलेंगे, कहां मिलेंगे, कैसे मिलेंगे ऐसे घोड़े खुद राहुल गांधी भी नहीं जानते हैं।
अभी घोड़े नहीं मिले हैं और गुजरात कांग्रेस ने फैसला कर लिया है कि गुजरात में आने वाले महीनों में होनेवाला उपचुनाव कांग्रेस अकेले लड़ेगी यानी आप के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा।गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष शक्तिसिंह गोहिल हाल में कहा है कि उपचुनाव आप के साथ मिलकर नहीं लड़ा जाएगा, कांग्रेस उपचुनाव अकेले लड़ेगी। इसके बाद भी दोनों पार्टियां राष्ट्रीय स्तर पर इंडी गठबंधन का हिस्सा बनी रहेंगी। हुआ यह है कि उपचुनाव के लिए आम आदमी पार्टी ने उपचुनाव की तारीख की घोषणा नहीं हुई है और विसावदर सीट के लिए प्रत्याशी गोपाल इटालिया को बनाने की घोषणा कांग्रेस के कोई बात किए बगैर कर दी है। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो आप ने गुजरात में उपचुनाव अकेले लड़ने का फैसला पहले किया है, कांग्रेस ने तो बाद में किया है।
कांग्रेस को पिछले विधानसभा चुनाव में आप के वोट काटने के कारण मात्र १७ सीटें मिलीं थी उन सीटों के विधायकों को भी कांग्रेस अपने पास रखने में सफल नहीं हुई। पांच विधायक कांग्रेेस छोडकर चले गए। वर्तमान में कांग्रेस के पास मात्र १२ विधायक हैं। राहुल गांधी इसके बाद भी कहते हैं कि गुजरात में कांग्रेस ही भाजपा को हरा सकती है। उपचुनाव में राहुल गांधी को पता चल जाएगा कि उनके पार रेस में दौड़ने व जीतने वाले घोड़े हैं भी या नहीं। आम आदमी पार्टी ने अपना रेस का घोडा़ तय कर लिया है और जीत की तैयारी शुरू कर दी है।कांग्रेस को अभी रेस के घोड़े की तलाश है। कांग्रेस की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि गुजरात की जनता पीएम मोदी को गुजरात का भला करने वाला नेता मानती है। कांग्रेस के पास ऐसा कोई नेता नहीं है जिसे गुजरात की जनता मोदी की टक्कर का समझती हों। राहुल गांधी को गुजरात की जनता मोदी की टक्कर का नहीं मानती है। क्योंकि राहुल गांधी गुजरात के भले के लिए अभी तक करना तो दूूर सोचा तक नहीं है।
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कभी कभी कोई ऐसी घटना हो जाती है जिससे वह सच बाहर आ जाता है, जो छिपा हुआ रहता है।जिसे मानते सब हैं लेकिन जाहिर तौर पर कोई स्वीकारता नहीं है।