जिस जगह जितने ज्यादा पेड़ पौधे, हरियाली होती है, उस जगह का वातावरण उतना ही अच्छा होता है,सबको वह जगह अच्छी लगती है। शहर जितना बड़ा होता जाता है,शहर की सड़के जितनी चौड़ी होती जाती है,शहर की आबादी जितनी बढ़ती जाती है,शहर में हरियाली कम होती जाती है और वायु प्रदूषण,जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण बढ़ता जाता है। लोग स्वस्थ कम और बीमार ज्यादा रहते हैं। हर कोई किसी न किसी तरह की बीमारी से परेशान रहता है। स्वस्थ रहने के लिए जरूरी है साफ हवा। यह साफ हवा हमे पेड़ पौधो से मिलती है। शहर में आबादी के हिसाब से पेड़ पौधे होने चाहिए तब ही सभी लोगों को साफ हवा हर जगह मिलेगी। शहर की आबादी बढ़ती जाती है लेकिन शहर में पेड़ पौधों की संख्या आबादी के हिसाब से नहीं बढ़ती है। हर साल बारिश में राजधानी में लाखों पौधे लगाए जाते हैं,पूर् प्रदेश में वन विभाग अभियान चला कर करोड़ों पौधे मुफ्त बांटता है ताकि शहरों में,कस्बों व गांवों में पेड़ पौधों की संख्या बढ़े। हर साल लाखों करोड़ो पौंधे बांटना अच्छी बात है, हर साल बारिश मेेेें लाखों-करोड़ों पौधे लगाना अच्छी बात है। इतना कर देने से राज्य व शहरों में पेड़ पौधो की संंख्ेया नहीं बढ़ती है। अगर बढ़ती होती तो आज पेड़ पौधे आबादी के हिासब से ज्यादा होते। शहर में आज भी पेड़पौधे कही कहीं दिखते हैं। हरियाली का बात तो की जाती है लेकिन शहर भी कहीं कहीं ही हरा भरा दिखता है। इन दिनों राजधानी हर घर हरियाली अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत जिले के शहर व गांवों के लोगों ने तीन लाख से ज्यादा पौधे लगाए हैं।सीएम के साथ सभी मंत्रियों के घरों मेें भी पौधे लगाए गए। जिले का हर आदमी एक पौधा अपने घर या घर के आसपास की खाली जमीन पर लगाए, इसके लिेए लोगों के मांगने पर घर घर पौधे पहुंचाककर दिए गए हैं लोगों को जागरूक किया गया है कि मानव जीवन को सुखी,समृध्द संतुलित बनाए रखने के लिए,अपने पर्यावरण को बेहतर बनाए रखने के लिए हर साल एक पौधा सभी को लगाना चाहिए। बारिश में सभी लोग पौधे न लगाए तो भी कोई बात नहीं, जो लाखों लोग पौधे लगाते हैं,वह अपने लगाए पौधे की दो तीन साल तक ही देखरेख करें तो राज्य पांच दस साल में ही हरा भरा हो जाएगा। छत्तीसगढ़ राज्य बने बीस साल हो गए हैं लेकिन राज्य आज तक हरा भरा नहीं हुआ है हर साल आज भी लाखों करोड़ो पौधे लगाए जा रहे हैं।यह खबर तो हर साल छपती है कि एक दिन इतने लाख पौधे लगाए गए। इस साल इतने करोड़ पौधे लगाए गए। हर किसी की फोटो भी छपती है कि देखो इन लोगों ने शहर व घर की हरियाली के लिए पौधे लगाए हैं। इस तरह की फोटो कोई मायने नहीं रखती। पेपर में फोटो तो उस आदमी की छपनी चाहिए जिसने पौधे को पांच साल तक बड़ा किया है। पौध लगाकर उसकी देखरेख नहीं की जाती है तो वे पौधे पानी के अभाव में सूख कर मर जाते हैं। पौधे लगाकर उनकी देखरेख नहीं करना पौधे को मरने के लिए छोड़ देना है। ऐसे लोगों की फोटो छापने का कोई मतलब नहीं है जिन्होंने पौधे लगाकर उन्हें मरने के लिए छोड़ दिया। आदमी की फोटो तो उसके लगाए पौधे के साथ नहीं उसके बड़े किए पेड़ के साथ छपनी चाहिए। इसका जिक्र होना चाहिए कि इस आदमी ने पौधा कब लगाया, उसकी देखरेख कितने दिन की। आज पेड़ कितने साल का हो गया है। ऐसे आदमी का तारीफ की जानी चाहिए कि उसने अपने लगाए पौधे की अपने बच्चों की तरह देखभाल की उसे अपने बच्चों की तरह बड़ा किया। जब आदमी अपने बच्चों की तरह पौधे को बड़ा करता है तो वह पेड़ उसके परिवार की तरह हो जाता है।उसक् साथ आदमी का रिश्ता बन जाता है। ऐसे पेड़ को आदमी न खुद काटता है न किसी को काटने देता है।
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विपक्ष का काम तो सरकार के हर काम में मीनमेख निकालना ही है।वह ऐसा नहीं करेगी तो उसे विपक्ष कौन कहेगा।कोई भी सरकार को वह तो अपने हर काम को ठीक बताती है,