दलित वोटों के लिए संसद में धक्कामुक्की तक..

Posted On:- 2024-12-20




सुनील दास

देश में कहीं मुसलमान वोट बैंक के लिए दलों के बीच होड़ लगी रहती है कि देखो तुम्हारी चिंता हम करने वाले है, देखो,तुम्हारे साथ हमेशा खड़े रहने वाले हम है।तुम हिंसा में मारे जाते हो तो मुआवजा सरकार से पहले हम देते हैं,हमको तुमसे मिलने नहीं दिया जाता है तो हम तुम्हें अपने घर बुलाकर मिलते हैं। तो संसद में संविधान व संविधान निर्माता के सम्मान व अपमान पर घमासान होता है,धक्कामुक्की की जाती है दलित वोट बैंक के लिए।

कोई संविधान हाथ में लेकर दलितों को बताना चाहता है कि देखो,संविधान के हम रक्षक है, इसलिए हम ही बाबा साहेब का सम्मान करने वाले हैं।कोई इतिहास से निकाल कर कई उदाहरण ले आता है कि देखो इन लोगों ने कब कब बाबा साहेब का अपमान किया है, यह तो आदतन बाबा साहेब का अपमान करने वाले है, यह कैसे संविधान व बाबा साहेब का सम्मान करने वाले हो सकते है, यह संविधान व बाबा साहेब का अपमान करने वाले हैं तो यह संविधान के रक्षक कैसे हो सकते हैं।

देश की राजनीति में कोई माने या माने संविधान व बाबा साहेब का नाम संसद में इतना लिया गया कि लगता है कि भारतीय राजनीति में दलितों के वोटों का महत्व बढ़ गया है। चुनाव जीतने के लिए जिस तरह हिंदुओं का वोट जरूरी है, मुसलमानों का वोट जरूरी है। उसी तरह दलितों का वोट भी जरूरी है।इसका पता कांग्रेस व भाजपा को तब पता चला जब लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने संविधान व आरक्षण का मुद्दा उठाकर कुछ राज्यों में भाजपा की सीटें कम कर दी।तब कांग्रेस को इस बात का एहसास हुआ कि संविधान व आरक्षण के मुद्दे पर दलितों का वोट बैंक जो कभी कांग्रेस का हुआ करता था, उसे कांग्रेस वापस पा सकती है। चुनाव में ज्यादा सीटें जीत सकती है, भाजपा की सीटें कम कर सकती है।

लोकसभा चुनाव में संविधान व आरक्षण के मुद्दे पर भाजपा को दलितों का वोट नहीं मिलने से भाजपा को बहुमत नहीं मिला तो उसे एहसास हुआ कि चुनाव में बहुमत व जीत के लिए दलितों का वोट भाजपा को मिलना जरूरी है। इस गलती को भाजपा ने हरियाणा व महाराष्ट्र में सुधारा और बड़ी जीत हासिल की।भाजपा जानती है कि दलित वोट कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक रहा है,वह वापस भाजपा के पास लौट आया है तो उसकी कोशिश है कि उसे भाजपा पास ही रहना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि भाजपा पूरी कोशिश करे दलितों को यह बताने की कि कांग्रेस तो संविधान विरोधी है और बाबा साहेब का अपमान करने वाली है।

भाजपा को यह मौका मिला संविधान के ७५ वर्ष पूरे होने पर। इस मौके पर कांग्रेस से बड़ी गलती यह हुई कि उसने संविधान पर संसद में चर्चा कराने की मांग की। भाजपा तो यह चाहती थी और कांग्रेस ने मौका दे दिया। लोकसभा में पीएम मोदी सहित भाजपा नेताओं ने कांग्रेस के इतिहास में संविधान व बाबा साहेब के कांग्रेस द्वारा किए अपमान को देश की जनता के सामने रखा, दलितों के सामने रखा ताकि वह समझ जाएं कांग्रेस नेता राहुल गांधी जो हाथ में संविधान लेकर संविधान रक्षक होने की बात कर रहे है, वह झूठ है, नौटंकी है, हकीकत में कांग्रेस शुरू से ही बाबा साहेब व संविधान का अपमान करने वाली पार्टी रही है और आज भी वह वही है, महज दलित वोटों के लिए संविधान रक्षक होेने नाटक कर रही है।

लोकसभा में भाजपा नेताओं ने कांग्रेस को संविधान का अपमान करने वाली पार्टी साबित किया तो राज्य सभा में अमित शाह व अन्य भाजपा नेताओं ने कांग्रेस को बाबा साहेब का अपमान करने वाली पार्टी साबित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। यह बात कांग्रेस को बहुत बुरी लगी,राज्यसभा में तो उसे समझ नहीं आया कि वह इसका विरोध करे लेकिन १२ घंटे के बाद उसकाे किसी ने समझाया या समझ आया कि अमित शाह ने राज्यसभा के भाषण की शुरआत मे जो १६ सेंकंड में कहा है, उसके आधार पर अमित शाह को बाबा साहेब का अपमान करने वाला प्रचारित किया जा सकता है और कांग्रेस ने अमित शाह का १६ सेकंड का वीडियो काट कर देश में वायरल किया और प्रचार किया कि अमित शाह ने बाबा साहेब का अपमान किया है।

इस मामले में अमित शाह का प्रेस वार्ता कर सफाई देनी पड़ी कि उन्होंने बाबा साहेब का कोई अपमान नहीं किया,उनके वीडियो को काट छांट कर दिखाया जा रहा है, उनका पूरा वीडियो तो ९० मिनट का है और कांग्रेस मात्र १६ सेकंड का वीडियो अमित शाह का वायरल कर रही है।कांग्रेस इस मामले में सोशल मीडिया में भाजपा पर पहले दिन तो भारी पड़ी लेकिन दूसरे दिन इसी बात को लेकर जब संसद मे भाजपा व कांग्रेस एक दूसरे के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे तो हमेशा की तरह ऐसी गलती राहुल गांधी ने कर दी कि पूरा संसद का पूरा परिदृश्य ही बदल गया।

राहुल गांधी को भाजपा जहां प्रदर्शन कर रही थी, जाना नहीं था, वह गए और दोनों तरफ से धक्कामुक्की हुई इसमें भाजपा के दो सांसद गिर गए और घायल हो गए और उनको अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। राहुल गांधी को संसद के भीतर जाना था तो मकर गेट के किनारे पर संसद के अंदर जाने के लिए रास्ता बना हुआ था, वहां से जा सकते थे, वहां से जाते तो कोई विवाद नहीं होता, कोई धक्कामुक्की नहीं होती।इस धक्कामुक्की से कांग्रेस को बहुत नुकसान हुआ है क्योंकि वह बाबा साहेब के अपमान मुद्दे पर भाजपा पर भारी पड़ रही थी, धक्कामुक्की के कारण बाबा साहेब का अपमान का मुद्दा छोटा मुद्दा हो गया और धक्कामुक्की बड़ी मुद्दा हो गया।

संसद में धक्कामुक्की का फायदा केजरीवाल ने सबसे पहले उठाया, दिल्ली में दलितों के वाेट के लिए उन्होंने भाजपा कार्यालय में प्रदर्शन कर डाला, बाबा साहेब के अपमान पर भाजपा को बुरा भला कह डाला,यही नहीं नीतीश कुमार व चंद्रबाबू से सवाल भी कर डाला कि क्या वह अब भी भाजपा के साथ हैं। मायावती ने तो भाजपा व कांग्रेस दोनों को सवालों के कठघरे में यह कहकर खड़ा किया.इन लोगों का बाबा साहेब के सम्मान,अपमान से कोई मतलब नहीं है, उनको दलितों के वाेट से मतलब है, इसलिए यह सब कर रहे हैं।यह सच भी है।कांग्रेस अपना वोट बैंक वापस पाना चाहती है ताकि वह मजबूत हो सके, इसके लिए वह एक तरफ भाजपा से लड़ रही है तो एक तरफ सपा से भी लड़ रही है।



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