इतिहास संविधान व बाबा साहेब विरोधी है तो....

Posted On:- 2024-12-19




सुनील दास

अगर किसी राजनीतिक दल का पूरा इतिहास संविधान विरोधी और संविधान निर्माता विरोधी हो तो उसके सबसे बड़े नेता को संविधान रक्षक बनने का प्रयास नहीं करना चाहिए क्योंकि जिसके पुरखे संविधान विरोधी और संविधान निर्माता का अपमान करने वाले रहे हैं, उसे देश का दलित समाज और सामान्य लोग कैसे संविधान रक्षक मान सकते हैं। यह तो एक असंभव कार्य है इसे करने का प्रयास नहीं करना ही बुध्दिमानी है लेकिन राहुल गांधी को कांग्रेस में कोई समझा नहीं सकता कि आपका संविधान रक्षक बनना असंभव है क्योंकि कांग्रेस का इतिहास संविधान विरोधी रहा है, कांग्रेस का इतिहास संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर विरोधी रहा है, उनके अपमान व उपेक्षा का इतिहास रहा है।

कांग्रेस के किसी नेता में यह हिम्मत नहीं है कि वह राहुल गांधी को समझा सके कि संविधान को हाथ में लेने से कोई संविधान रक्षक नहीं बन सकता। राहुल गांधी तो मान कर चल रहे हैं कि संविधान मेरे हाथ में है इसलिए मैं संविधान रक्षक हूं। ऐसे में तो संविधान रक्षक बनना सभी लोगों के लिए बहुत ही आसान हो जाता है, क्योंकि इसके लिए संविधान का सम्मान या बाबा साहेब का सम्मान करने की जरूरत ही नहीं है। कांग्रेस के इतिहास को जो भी जानता है उसे मालूम है कि कांग्रेस ने सत्ता में रहने के दौरान संविधान व बाबा साहेब का कितना अपमान किया है।

कौन नहीं जानता है कि कांग्रेस नेता व देश के पहले पीएम पं.जवाहर लाल नेहरू बाबा साहेब को पसंद नहीं करते थे, उन्होंने पहली देश की पहली सरकार की मंत्रिपरिषद बनाने के लिए जब मंत्रियों की सूची बनाई थी तो उसमें बाबा साहेब संविधान निर्माता का नाम नहीं था। वह सूची लेकर महात्मा गांधी के पास गए तो महात्मा गांधी ने उनसे कहा कि इसमें तो बाबा साहेब का नाम नहीं है तो पं. जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि बाबू जगजीवन राम का नाम है न।यानी वह बाबू जगजीवन राम को बाबा साहेब से ज्यादा योग्य मानते थे। वह देश की पहली सरकार में बाबा साहेब काे मंत्री बनाना नहीं चाहते थे लेकिन महात्मा गांधी के कारण बनाना पड़ा।यह बाबा साहेब का पहला अपमान था।

इसके बाद बाबा साहेब को उनके कद के हिसाब से विभाग नहीं दिया गया, जो विभाग दिया गया, उसमें उनको काम नहीं करने दिया गया। इससे तंग आकर बाबा साहेब ने मंत्रीपद से इस्तीफा दे दिया। जो भी मंत्रिपद से इस्तीफा देता है, उसे लोकसभा में अपनी बात कहने का मौका दिया जाता है, लेकिन बाबा साहेब को यह मौका नहीं दिया गया यह बाबा साहेब का दूसरा अपमान था। इस पर बाबा साहेब ने पत्रकारवार्ता कर अपने इस्तीफे की वजह देश को बताई थी।

इसके बाद बाबा साहेब को चुनाव में हराने का काम कांग्रेस ने किया था,अगर कांग्रेस व पं. जवाहर लाल नेहरू बाबा साहेब का सम्मान करते होते तो क्या उनको चुनाव में हराने की सोचते, बाबा साहेब काे एक नही दो चुनाव मे कांग्रेस ने हरवा दिया और लोकसभा नहीं जाने दिया जहां बाबा साहेब दलितों की आवाज उठाना चाहते थे, एक बार के चुनाव में तो खुद पं. जवाहर लाल नेहरू ने बाबा साहेब के खिलाफ  प्रचार किया था। यह बाबा साहेब का तीसरा अपमान था।

कांग्रेस ने बाबा साहेब का जिंदा रहते कोई सम्मान नहीं किया लेकिन उनके मरने के बाद भी कांग्रेस ने उनका सम्मान नहीं किया। गांधी परिवार व उनके करीबी लोगों को भारत रत्न सम्मान दिया गया लेकिन बाबा साहेब को भारत रत्न के लायक कभी नहीं समझा गया।जब तक कांग्रेस सरकार रही बाबा साहेब को भारत रत्न सम्मान नहीं मिला। यह बाबा साहेब का एक और अपमान था।जब देश में गैर कांग्रेस सरकार बनी तो बाबा साहेब का भारत रत्न सम्मान मिला।

बाबा साहेब के मरने के बाद उनका जहां जन्म हुआ था, जहां उनकी मौत हुई, वह जहां रहे कहीं पर भी कोई स्मारक कांग्रेस ने नहीं बनवाया।यह बाबा साहेब का घोर अपमान था।जबकि गांधी परिवार के नेताओं के देश भर में स्मारक बनाए गए। मोदी सरकार आने के बाद बाबा साहेब की यादों से जुड़े पांच जगहों पर स्मारक बना कर उसे पंच तीर्थ का नाम दिया गया।यह मोदी सरकार व भाजपा का बाबा साहेब का सबसे बड़ा सम्मान था क्योंकि देश के किसी नेता के स्मारक को तीर्थ का दर्जा नहीं दिया गया है। सिर्फ बाबा साहेब के स्मारक को तीर्थ का दर्जा मोदी सरकार ने दिया है।

बाबा साहेब का ऐसा सम्मान करने वाली भाजपा व उनके नेताओं को कांग्रेस कुछ सेकंड के वीडियाे के आधार पर बाबा साहेब विरोधी बताने का प्रयास कर रही है, कह रही है कि अमित शाह ने बाबा साहेब का अपमान किया है लेकिन कोई यह नहीं कह रहा है कि बाबा साहेब का अपमान शाह ने क्या कहकर किया है। कांग्रेस व विपक्षी दल किसी बयान किसी उदाहरण के जरिए आज तक साबित नहीं कर पाए हैं कि भाजपा ने बाबा साहेब का अपमान किया है, आरक्षण या संविधान समाप्त करने की बात कही है, वह वीडियो में काट छांट कर देश के लोगों को गुमराह का प्रयास करते हैं। 

अभी का प्रयास भी ऐसा ही प्रयास है, हिम्मत है तो कांग्रेस व विपक्ष के नेताओं को अमित शाह का पूरा ९० मिनट का वीडियाे जारी कर बताना चाहिए कि शाह ने कहां पर बाबा साहेब का अपमान किया है, अमित शाह ने तो पूरे ९० मिनट के वीडियो में बताया है कि कांग्रेस ने कब कब,कैसे और क्यों बाबा साहेब का अपमान किया है। हकीकत यह है कि संविधान के ७५ वर्ष पूरे होने के मौके पर भाजपा यह साबित करने में सफल रही है कि कांग्रेस ने सत्ता में रहने के दौरान संविधान व बाबा साहेब का अपमान किया है। इससे दलित वोट कांग्रेस से दूर जा सकता है।

राहुल गांधी दलित वोट के लिए ही तो हाथ में संविधान लेकर घूम रहे है, वह बाबा साहेब का सम्मान किए बिना ही दलित वोट महज हाथ में संविधान लेकर पाना चाहते हैं। अमित शाह ने तो बाबा साहेब का अपमान कांग्रेस ने कितनी बार किया है देश व दलित समाज को बताकर कांग्रेस व राहुल गांधी की पूरी योजना को फेल कर दिया। कांग्रेस व राहुल गांधी खुद को संविधान रक्षक अब कैसे बताएंगे क्योंकि दलित समाज उसे तो संविधान का रक्षक नहीं मान सकता जाे बाबा साहेब का अपमान करने वाली पार्टी का नेता हो।  



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