काम से नीयत का पता चलता है

Posted On:- 2024-12-02




सुनील दास

कोई सरकार कोई काम करती है।उसकी नीयत का पता उसके काम से ही चल जाता है कि यह जो काम कर रही है ठीक कर रही है या गलत कर रही है।हर सरकार के समय भ्रष्टाचार होता है, सरकार काम से पता चल जाता है कि सरकार भ्रष्टाचार रोकने के लिए कुछ कर रही है या भ्रष्टाचार होने देने के लिए कुछ रही है।जो सरकार भ्रष्टाचार रोकना चाहती है वह अपने काम से भ्रष्टाचार को रोकने का प्रयास करेगी और जो सरकार भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना चाहती है या भ्रष्टाचार होने देना चाहती है कि वह ऐसा काम करेगी जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा, जिससे ज्यादा भ्रष्टाचार होगा।

भूपेश सरकार व साय सरकार में सबसे बड़ा अंतर ही यही है कि एक के समय भ्रष्टाचार रोकने के लिए कुछ खास नहीं किया गया, इसका परिणाम हुआ है खूब भ्रष्टाचार हुआ, हर क्षेत्र में भ्रष्टाचार हुआ। इससे सरकार भी बदनाम हुई और कांग्रेस भी बदनाम हुई। पीएससी में भाईभतीजावाद के कारण ही तो सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार होता है। यह बात को भूपेश सरकार भी जानती थी और साय सरकार भी जानती है।भूपेश सरकार ने क्या किया,वर्ष २०२१ में परिवार शब्द की परिभाषा को संकुचित किया ताकि भाईभतीजावाद आसानी हो सके।

इसका परिणाम क्या हुआ,राज्य सेवा परीक्षा २०२१ में भाईभतीजावाद का आरोप लगा।पीएससी की चयन सूची में कई अफसराें, नेताओं के रिश्तदारों के नाम आए।इसे लेकर युवाओं ने आरोप लगाया कि अपने रिश्तेदारों को लाभ पहुंचाने के लिए अफसरों ने नियमों की अनदेखी की। भूपेश सरकार कई साल रही लेकिन उसने ऐसे नियम नहीं बनाए जिससे पीएससी में भ्रष्टाचार रुक सके। जबकि पीएससी घोटाले की जांच करा रही साय सरकार ने पीएससी में भाईभतीजावाद जिसके कारण होता है, उसे रोकने के लिए नया नियम बनाया है।

नए नियम के मुताबिक हर परीक्षा से पहले पीएससी के अफसरों व कर्मियों को यह साफ करना होगा कि उनका कोई रिश्तेदार यहां तक कि जान पहचान वाला भी पीएससी में शामिल नहीं हो रहा है।अगर किसी अफसर या कर्मी के रिश्तेदार या परिचित पीएससी की परीक्षा दे रहा है तो उस अफसर व कर्मी को परीक्षा से बाहर रखा जाएगा यानी पीएससी की परीक्षा में उसकी कहीं कोई भूमिका नहीं होगी।साय सरकार आने के बाद राज्य सेवा परीक्षा २३ से यह व्यवस्था लागू हो गई है।

आगे भी यह लागू रहेगी। परिवारवाद के आरोप के बीच पीएससी में होने वाले भ्रष्टाचार रोकने के लिए साय का यह सराहनीय कदम माना जा रहा है।पीएससी परीक्षा के लिए साय सरकार से पहले यानी भूपेश सरकार के समय परिवार शब्द का आशय खून के रिश्ते से था।इसमें माता-पिता, पुत्र-पुत्री,नाती-पोता आदि आते थे।साय सरकार ने परिवार शब्द का आशय खून के रिश्त तो हैं ही,इसके साथ ही निकटतम रिश्तेदार,परिचित को शामिल कर दिया है।

जो सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ होती है, वह पिछली सरकार में हुए भ्रष्टाचार से सबक लेती है जिन कारणों से पिछली सरकार में भ्रष्टाचार हुए, उन कारणों का जानने का प्रयास करती है और ऐसी व्यवस्था करती है कि पिछली सरकार के समय जिस तरह के भ्रष्टाचार हुए, इस सरकार में न हो। पिछली सरकार के समय भारी शराब घोटाला हुआ। साय सरकार ने आबकारी विभाग की उन नीतियों को बदल दिया जिनके कारण भ्रष्टाचार होता था।

यही काम साय सरकार ने पीएससी में भ्रष्टाचार रोकने के लिए परिवार शब्द का दायरा बढ़ा दिया है ताकि कोई परिवार का कोई व्यक्ति परीक्षा दे रहा है तो उसका रिश्तेदार को परीक्षा के दायरे से बाहर रखा जाए ताकि पीएससी में कोई भाईभतीजावाद न हो। पीएससी में भ्रष्टाचार भाईभतीजावाद के कारण ही होता था, पिछली सरकार भी जानती थी इसे कैसे रोका जा सकता है लेकिन ऐसा कोई प्रयास नहीं किया। यह काम साय सरकार ने किया तो इससे राज्य के युवाओं का साय सरकार प्रति भरोसा बढ़ेगा। उनको लगेगा कि अब राज्य की पीएससी परीक्षा में कोई भाईभतीजावाद नहीं होगा। कोई भ्रष्टाचार नहीं होगा।



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