कोरोना के बचाने के लिए राज्य व केंद्र सरकार अपने स्तर पर प्रयास कर रहे हैं। इसके लिए सबसे जरूरी है कि टीका लगाने वाले जितनी जिम्मेदारी से टीकी लगा रहे हैं,उतनी ही जिम्मेदारी से आम लोगों को भी टीका लगवाने जाना अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। सब अपनी जिम्मेदारी समझ कर अपना अपना काम करेंगे तो कोई काम मुश्किल नहीं होता है। हाल में देश में टीका लगवाने की संख्या 200 करोड़ से ज्यादा हो गई है।यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। सभी लोगों ने अपनी जिम््मेदारी का समझी इसलिए दो साल से पहले ही इतने लोगों को कोरोनारोधी टीका लगाया जा सका है। यह काम और जल्दी हो सकता था यदि देश के हर काम में बाधा डालने वाले लोगों ने बाधा न ड़ाली होती। कोरोना से बचाव की वैक्सीन देश मेंं बनना बहुत बड़ी बात थी लेकिन इसका स्वागत करने की जगह कुछ लोगों ने इसका विरोध किया, कई तरह की अफवाह फैलाई। लोगों को डराया गया कि इसको लगाने पर आदमी नपुंसक हो जाता है,आदमी मर जाता है। कई लोगों ने कहा कि इसका ठीक से परीक्षण नही ंकिया गया है और देश के लोगों की जान खतरे में डाली जा रही है.। कई जगह टीका लगानेवालों के साथ मारपीट की गई। इन तमाम बाधाओं के बादभी हमारे देश व राज्य के स्वास्थ्य कर्मियों व डाक्टरों ने हिम्मत नहीं हारी और असंभव से लगने वाले पूरे देश के 140 करोड़ लोगों को कोरोना टीका लगाने का काम पूरा किया। 200 करोड़ को टीका लगना उन लोगों के मुंह पर तमाचा है जो कहते थे कि इतनी बड़ी आबादी को दो डोज लगाने में दस साल लग जाएंगे, 12 साल लग जाएंगे। कोई मानने को तैयार ही नहीं होता था कि इस देश में पूरी आबादी को एक दो साल में टीका लगाया जा सकता है। हमारे देश के डाक्टरों ने असंभव को संभव कर दिखाया है। इसके लिए उनकी जितनी तारीफ की जाए कम है। वह तो संकट के समय अपना काम करते ही हैं, हम लोगों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए। वतमान में फिर देश में बीस हजार से ज्यादा संकमिति मिल रहे हैं। छत्तीसगढ़ में एक दिन में महीनों बाद फिर 633कोरोना मरीज मिल रहे हैं। मतलब कोरोना फिर फैस लरा है। इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है,अब किसी तो बताने की जरूरत नहीं है इससे बचाव के लिए ्कया करना है। तीन साल में देश के हर आदमी को पता है कि कोरोना से खुद को बचाने व अपने आसपास के लोगों को बचाने के लिए क्या करना है। अब जब सरकारी अस्पतालों में कोरोना को तीसरा बुस्टर डोज मुफ्त में लगाया जा रहा है,इसके लिए शासकीय तौर पर अभियान चलाया जा रहा है तो यह सभी लोगों की जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वैक्सीनेशन सेंटरों मेें जाकर टीका जल्द से जल्द लगवाएं। हम लोग जितनी जल्दी टीका लगवा लेंगे उतनी ही जल्दी सभी बूस्टर डोज लगाने का लक्ष्य पूरा हो जाएगा। पहले बूस्टर डोज लगान का समय 9 माह था अब इसे घटाकर छह माह हो गया है। हमें मालूम है कि बूस्टर डोज छह महीने बात लगावाना है तो हमें कोरोना से बचने के लिए लगवा लेना चाहिए। अब तो देश मेे न टीके की कमी है , नही दवा और आक्सीजन की। हम लोग सजग रहें और कोरोना से बचाव के लिए पूरी सावधान बरतें तो सरकार व देश का बहुत सा पैसा बचा सकते हैं। सीधी से बात है कि देश व राज्य में जितने ज्याादा कोरोना से संक्रमित होंगे उतना ही ज्यादा पैसा सरकार का उनके इलाज में खर्च होगा। यदि हम सावधानी बरतते हैं और देश व राज्य में कम लोग कोराना संक्रमित होते हैं तो इससे देश व राज्य का कम पैसा खर्च होगा। हमें नहीं भूलना चाहिए कि महामारी को फेलने से रोकना सरकार की जिम्मेदारी तो है,, हमारी भी जिम्मेदारी है।अब जब राजधानी रायपुर में रोज 100 मरीज मिल रहे है, राज्य में 600 से ज्यादा मिल रहे है तो हमें सावधान रहने की जरूरत है तथा दूसरों को जागरूक करने की जरूरत भी है।
नक्सली हों, उग्रवादी हों या आतंकवादी हों उनको समाप्त करने के लिए जरूरी होता है कि वह कुछ करें इससे पहले उन पर हमला कर उनको मार दिया जाए।
हिंदू परंपरा में मान्यता है कि कर्मफल अटल है, आपने जैसा कर्म किया है, वैसा फल तो कोई चाहे न चाहे उसे मिलता ही है।फल से ही पता चलता है कि किसी ने क्...
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नगरीय निकाय चुनाव जीतने के लिए राजनीतिक दलों के बीच हर वर्ग का वोट प्राप्त करने के लिए वादे करने की होड़ सी लगी हुई है कि कौन ज्यादा वादा कर सकता है।
राजनीति में जब कुछ कहा जाता है, किसी बड़े नेता द्वारा कहा जाता है तो वह यूं ही नहीं कह दिया जाता है, उसका कोई मकसद होता है, कोई संदेश देना होता है
राजनीति में उस राजनीतिक दल व उस सरकार पर जनता भरोसा करती है जो वादा करती है, उसे पूरा करने का प्रयास करती है और निरंतर सफल रहती है।