होती है ऐसी घटना तो सबको बुरा लगता है

Posted On:- 2024-10-15




सुनील दास

पुलिस जनता की रक्षा के लिए होती है, उसका काम राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखना है, गुंडे-बदमाशों से जनता की रक्षा करना है। जनता के जानो-माल की रक्षा करना उसकी जिम्मेदारी है। जनता को जब लगता है कि उसकी जान सुरक्षित है, उसकी संपत्ति सुरक्षित है, उसका परिवार सुरक्षित है तो तब वह मानती है कि पुलिस उसकी सुरक्षा अच्छे से कर पा रही है।जनता के पास तो एक ही पैमाना होता है कि उसके आसपास सुरक्षित माहौल है या नहीं। यह सुरक्षित माहौल देना पुलिस का काम है। कई बार दूसरे जिलों,राज्य में होने वाले अपराध के कारण भी लोग असुरक्षित महसूस करते हैं।

जब अपराध की कोई बहुत बड़ी घटना घटती है। ऐसी घटना घट जाती है जैसी घटना पहले राज्य में नहीं घटी।जब कोई घटना पहली बार घटती है तो उसका राज्य के लोगों पर गहरा असर होता है।सूरजपुर में हुई घटना ऐसी ही घटना है। पहली बार ऐसा हुआ है राज्य में किसी आदतन नामी बदमाश ने पुलिस की कार्रवाई से नाराज होकर एक हेड कांस्टेबल की पत्नी व उसकी बच्ची की बेरहमी से हत्या कर दी।कारण चर्चा में यह है कि जिले का सबसे बड़ा कबाड़ी व आदतन बदमाश कुलदीप साहू का पहले कांस्टेबल घनश्याम के साथ किसी बात को लेकर विवाद हुआ तो उसने कांस्टेबल पर खौलता हुआ तेल डाल दिया। इस घटना के बाद पुलिस उसे ढूंढ रही थी, हेड कांस्टेबल तालिब शेख भी इसी काम में लगे हुए थे, उन्होंने घनश्याम को अस्पताल पहुंचाने में मदद की और कुलदीप साहू का पकड़ने का प्रयास किया। इससे नाराज होकर कुलदीप साहू ने हेड कांस्टेबल तालिब शेख से मारपीट करने रात को उनके घर गया, वह घर में नहीं थे तो उसने उनकी पत्नी व बेटी की हत्या कर दी और लाश घर से दूर कहीं फेंक दी।

लाश मिलते ही पूरा शहर नाराज हो गया और भीड़ ने कुलदीप साहू के मकान व गोदाम को जला दिया। यह अपनी तरह की पहली घटना है। ऐसी घटना होती है तो सब लोगों को बहुत बुरा लगता है,,सब यही कहते हैं कि ऐसी घटना तो नहीं होनी चाहिए। ऐसी घटना कहीं भी होती है तो उसका असर पूरे राज्य की जनता पर पड़ता है।राज्य के लोगों में असुरक्षा की भावना बढ़ जाती है। वह खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। वह तो मानते हैं कि पुलिस ही उनकी रक्षा करने वाली है। पुलिस ही उनकी रक्षक है, लेकिन जब कभी पुलिस के साथ कुछ बुरा हो जाता है तो लोगों को लगता है कि जब पुलिस अपनी ही रक्षा नहीं कर पा रही है तो हमारी क्या रक्षा करेगी। इससे पुलिस से लोगों का भरोसा कम होता है।

लोग तो मानते हैं कि गुंड़ों व बदमाशों को पुलिस से डरना चाहिए। उनमें पुलिस का खौफ होना चाहिए। उनको डर होना चाहिए कि वह छोटे से छोटा अपराध भी करेंगे तो पुलिस उनको  पकड़ लेगी और अदालत उसे सजा देगी। जब पकड़े जाने व सजा का डर होता है तो गुंडे व बदमाश छोटे से छोटे से अपराध करते हुए भी डरते हैं।जब पकड़े जाने व सजा मिलने का डर ही नहीं होता है तो गुंडे बदमाश बड़े से बड़ा अपराध करते हुए नहीं डरते हैं।वह सोचते हैं कि पुलिस पकड़ भी लेगी तो वह पैसे के बल पर अदालत से छूट जाएंगे।

यह भी सोचने वाली बात है कि कोई भी अपराधी एकदम से बड़े अपराध नहीं करता है।वह छोटे छोटे अपराध करता है और उसे पुलिस व किसी सत्तारूढ़ राजनीतिक दल का संरक्षण मिलता है तो उसका हौसला बढ़ता है,वह बड़ा अपराधी माना जाता है और वह बड़ा अपराध भी करता है।यह चर्चा भी होती है कि वह किसी राजनीतिक दल के किसी संगठन का पदाधिकारी भी था, उसकी कार में लिखा हुआ था कि वह किस राजनीतिक दल का पदाधिकारी था। अब राजनीतिक दल कितना भी इंकार करे जनता तो जानती है कि अपराधियों को संरक्षण पुलिस भी देती है और राजनीतिक दल के नेता भी देते हैं।

यह संरक्षण मिलने के बाद ही छोटा बदमाश बडा बदमाश बनता है, राजनीतिक दलों का सहयोग चुनाव में करता है तो चुनाव के बाद सरकार बनने पर राजनीतिक दल बदमाश की मदद करते हैं।कोई भी बड़ी घटना होती है तो उसके लिए पुलिस तो दोषी होती ही है, साथ ही राजनीतिक दल के नेता भी दोषी होते हैं। ऐसी घटना होती है तो राजनीतिक दल राजनीति भी करते हैं,जनता को बताने की कोशिश करते हैं कि इसके लिए सीधा सरकार दोषी है।कोई यह नहीं कहता है कि ऐसी घटना नहीं होनी चाहिए,ऐसी घटना न हो इसके लिए क्या किया जाना चाहिए।

सूरजपुर की घटना के बाद तो कांग्रेस को फिर बोलने का मौका मिल गया है।ऐसा बोली जा रही हैं जैसे कांग्रेस के समय राज्य में कोई अपराध ही नहीं होता था। बलौदाबाजार की घटना,कवर्धा की घटना भी इसी घटना की तरह बहुत ही बुरी घटना है।गौर  करने लायक बात यह है कि बलौदाबाजार घटना में भी आगजनी हुई थी,कवर्धा के समय भी आगजनी हुई और अब सूरजपुर जिले में भी घटना के बाद आगजनी हुई है।यह किस बात का संकेत है, सरकार व पुलिस को समझने की जरूरत है।



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