पोल तो एक दिन जरूर खुलती है फर्जी आंदोलन की...

Posted On:- 2024-10-14




सुनील दास

जब भी कोई फर्जी काम किया जाता है तो करने वाले सोचते हैं,मानकर चलते हैं कि इसका पता किसी को नहीं चलेगा लेकिन ऐसा होता नहीं है, हर फर्जी काम की पोल एक दिन जरूर खुलती है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में किसान आंदोलन किया गया था और इसे पूरे देश के किसानों का आंदोलन बताने का प्रयास भी किया गया था।उस वक्त भी बहुत से लोगों ने कहा था कि यह असली किसानों का आंदोलन नहीं है, यह तो पंजाब व हरियाणा के कुछ किसान नेताओं का प्रायोजित आंदोलन है, इसके लिए इनको देश व विदेश से फंड भी दिया गया है।तब ऐसा कहने वाले लोगों को किसान विरोधी कहा गया था और किसान आंदोलन को असली किसानों का आंदोलन कहा गया था। इस आंदोलन का मकसद देश में अराजकता फैलाकर मोदी सरकार की छवि को खराब करना था सरकार को किसान विरोधी साबित करना था, यूपी के चुनाव में भाजपा को हराना था।पहली बार यूपी के चुनाव में भाजपा को दूसरी बार बहुमत की सरकार बनने पर माना गया कि किसान आंदोलन का चुनाव में कोई असर नहीं हुआ।यानी इस किसान आंदोलन से यूपी के किसान अप्रभावित रहे और यूपी सरकार को दोबारा सत्ता सौंप कर बताया कि यह आंदोलन कम से कम यूपी के किसानों का तो नहीं है। 

वाकई में यह आंदोलन पंजाब व हरियाणा के कुछ किसान नेताओं का था जो किसान के नाम पर गांवों से लोगों को लाकर भीड़ इकट्ठा कर लेते थे और खुद को देश का किसान नेता बताने व जताने का प्रयास करते थे।पहली बार इन किसान नेताओं की पोल यूपी चुनाव के बाद खुली।अब उनकी पोल फिर एक बार हरियाणा चुनाव के बाद खुली है, वह भी खुद किसान आंदोलन करने वाले नेताओं ने ही खोली है।अक्टूबर २०२० से नवंबर २०२१ तक चले किसान आंदोलन में अहम किरदार निभाने वाले भाकियू चढूनी गुट के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने रविवार को दावा किया है कि किसान आंदोलन के नाम पर हमने राज्य में कांग्रेस के पक्ष में माहौल बना दिया था।मगर चुनाव में कांग्रेस इसका फायदा नहीं उठा पाई। इससे साफ हो जाता है कि किसान आंदोलन कांग्रेस के राजनीतिक फायदे के लिए किया जाता रहा है लेकिन यह असली किसानों का आंदोलन न होने के कारण कांग्रेस को कोई फायदा नहीं हुआ है।

असली किसानों ने तो भाजपा को वोट देकर जिताया है,आंदोलन के दौरान रास्ता रोकने से नाराज लोगों ने भी चुनाव में किसान आंदोलन करने वाले नेताओं और उनका समर्थन करने वाले नेताओं को हरा कर सबक सिखाया है कि किसान आंदोलन के नाम पर यदि लोगों को परेशान किया जाएगा, व्यापार को प्रभावित किया जाएगा तो ऐसा करने वाले को वक्त आने पर सबक सिखाया जाएगा और यूपी के बाद हरियाणा के लोगों ने भी फर्जी किसान आंदोलन करने वालों को सबक सिखा दिया है।कांग्रेस को ऐसे फर्जी लोगो का समर्थन करने का खामियाजा चुनाव में भुगतना पड़ा है। जो बात पिछले रविवार को किसान नेता चढूनी ने कही है, वही बात यूपी चुनाव में अखिलेश व कांग्रेस के हार जाने पर योगेंद्र यादव ने कही थी कि हमारा काम तो पिच तैयार करना था हमने किसान आंदोलन के नाम पर पिच बना दी और उस पर खेलकर जीतना तो भाजपा विराेधी दलों को था, यदि वह जीत नहीं पाए तो यह उनकी कमजोरी है।

योगेंद्र यादव व गुरनाम सिंह के बयान से साफ हो गया है कि पंजाब व हरियाणा के किसानों के नाम पर जो आंदोलन  किया जाता रहा है, वह प्रायोजित था उसका मकसद भाजपा को राजनीतिक नुकसान व कांग्रेस को राजनीतिक फायदा पहुंचाना था।आंदोलन करने वाले सब लोग किसान ही नहीं थे, आंदोलन सब किसानों का नहीं था, इसलिए इसके आधार पर जो राजनीतिक उथलपुथल करने की योजना बनाई गई थी, चुनाव में कांग्रेस को जिताने की जो योजना बनाई गई थी, वह फेल हो गई। यूपी में भी फेल हो गई और हरियाणा में भी फेल हो गई। असली किसानों व आम लोगों ने इन लोगों को साजिश को समझा है और यूपी व हरियाणा दोनो जगह साजिश को फेल कर दिया है। यह तो अच्छा हुआ कि हरियाणा की जनता ने कांग्रेस को चुनाव में जिताया नहीं वर्ना पिछली सरकार ने दिल्ली जाने के लिए निकले जिन किसानों को हरियाणा सीमा पर रोक दिया था, उन किसानों को कांग्रेस की सरकार रोकती ही नहीं और वह दिल्ली पहुंच कर अराजकता फैलाते।

उनकी योजना दिल्ली में अराजकता फैलाकर मोदी सरकार के खिलाफ देश में  माहौल बनाना था। हरियाणा में भाजपा सरकार होने व चुनाव जीतने के बाद फिर से भाजपा सरकार बनने से अब किसानों का दिल्ली तक अराजकता फैलाने के लिए पहुंचना मुश्किल है। बांग्ला देश में क्या हुआ।चुनी हुई सरकार कुछ लोगों ने प्रायोजित आंदोलन के नाम पर देश में अराजकता फैलाई और पीएम को देश से भागना पड़ा।इसे बांगला देश में आंदोलन करने वाले जिस तरह खुद बाद में बताया उसी तरह हमारे देश के किसान नेता बता रहे हैं कि हमारा आंदोलन किसानों के लिए नहीं था, हमारा आंदोलन तो कांग्रेस को फायदा और भाजपा को नुकसान पहुंचाने के लिए था। देश के लोगों को अब हर बड़े आंदोलन को लेकर सजग रहने की जरूरत है। उसका समर्थन सोच समझ कर करने की जरूरत है।



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