राजधानी की सड़कों पर आए दिन जो घटनाएं हो रही हैं,वह आम लोगों को डराने वाली हैं। एक घदना का डर अभी समाप्त नहीं हुआ रहता कि दूसरी घटना हो जाती है। शहर में लोगों को चलते हुए,कहीं आते या जाते हुए सोचना पड़ता है कि उसके साथ ही कहीं कुछ अनहोनी न हो जाए। सड़कों पर सैकड़ों लोग आस पास गुजरते हैं,कैसे कोई जाने,कैसे कोई पहचाने कौन उसके लिए कितना खतरनाक है। क्या पता भीड़ वाली सड़क पर कोई आपसे टकरा जाए और आपको ही गाली देने लगे,विरोध करने पर चाकू मार दे। कोई आपकों टक्कर मार दे तो आप उसे यह भी नहीं कह सकते कि देख के गाड़ी चलाओ, इसी बात पर कोई चाकू निकाल पर आपको मार सकता है। जल्दी साइड न देने पर आपकी जान जा सकती है। शहर में सब जल्दी में है, सबको कहीं भी जाना है,जल्दी जाना है, कोई रास्ते में आ जाए और रास्ते से जल्दी न हटे तो गुस्से में कोई भी आपके साथ कुछ भी कर सकता हैे। घरों से बाहर सड़कों पर गुस्से से भरे हुए लोग ज्यादा है। घरों में अपने होते हैं इसलिए उनके साथ गुस्से में ज्यादातर लोग रियायत कर जाते हैं लेकिन सड़क पर आपके साथ कोई रियायत नहीं करेगा, उसके लिए आप की जान की कीमत कुछ भी नहीं हैं। घर में जितनी जल्दी गुस्सा आता है, सड़क पर उससे जल्दी भी गुस्सा आता है,और वह गुस्सा खतरनाक भी होता है। किसी की जान लेकर ही खत्म होता है। अगर आप सोच रहे हैं कि लड़के ही गुस्से से भरे हुए शहर की सड़कों पर घूम रहे हैं तो आप गलत हैं। लड़कियां भी गुस्से से भरी हुई सड़क पर घूम रही हैं। लड़के ही चाकू लेकर सड़कों पर नहीं घूम रही हैंं, कोई लड़की भी चाकू लेकर घूम रही हो सकती है। राजधानी पुलिस कितना प्रयास करती है लेकिन लड़के व लड़कियों का चाकू लेकर घूमना और जरा साब बात पर किसी को भी बिना बात किए चाकू मार देना आम बात होती जा रही है। कुछ दिन पहले गुढिय़ारी में सड़क पर चल रहे व्यक्ति ने बाइक चलाने वाले ने टक्कर मार दी तो कहा देख के चलाओ तो बाइक सवारों को गुस्सा आाय और उन्होंने इस व्यक्ति की चाकू मारकर हत्या कर दी। स्कूल में छात्रों ने पूरक परीक्षा देने आए छात्र की इस बात पर हत्या कर दी कि उसने उनके सवाल का जवाब क्यों नहीं दिया। राजधानी के कंकालीपारा में एक लड़की को स्कूटी का हार्न बजाने के बाद भी युवक नही हटा तो उसने गुस्से में आकर उस युवक की चाकू मारकर हत्या कर दी। उस लड़की ने उस युवक से बात तक नहीं की कि वह रास्ते से हट क्यों नहीं रहा है। उसने उससे बात करने की कोशिश की होती, तो उसे पता चल जता कि वह न सुन सकता है, न बोल सकता है। बच्चे मां के मना करने पर मान जाते हैं,वह लड़की कैसी थी जिसने मां के मना करने पर भी युवक को चाकू मार कर ही मानी। खबरों से पता चला कि वह लड़की नशा करती थी, उसके खिलाप थाने में मामले दर्ज थे। आम आदमी को कैसे पता चलेगा कि जो पीछ हार्न बजा रहा है वह नशेड़ी है, वह चाकू रखे हुए हैं,वह गुस्से में है तथा गुस्से में वह किसी को भी चाकू मार सकता है। आम आदमी क्या करे। घर से न निकले। नौकरी न करने जाए। कोई गलती करे तो भी उसे कुछ न कहे। आम आदमी के लिए सड़क पर इसी तरह का व्यवहार करना ही ठीक है उसके लिए। सड़क पर आपने नसीहत दी और वह भला आदमी निकला तो आपकी किस्मत अच्छी है। नशेडी, जेब में चाकू लिए हुए युवा निकला तो आपकों को सड़क पर सौ आदमी हों तो भी कोई आपको नहीं बचा सकता। राजधानी की सड़ों पर मारने वाले ज्यादा घूम रहे हैं, बचाने वाले कोई नहीं है। पुुलिस नही है राजधानी में ऐसा भी नहीं है। वह चाकू लेकर घूमने वालों को पकड़ती है, कितनों को पकड़ेगी, दस को पकड़ती है 11 वां कहीं चाकू चला देता है।,लड़कों को पकडती है तो कोई लड़की चाकू चला देती है। राजधानी की पुलिस करे तो क्या करे।
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