पेरिस ओलंपिक में भारत से है ढेरों उम्मीदें, क्या हॉकी में मिलेगा स्वर्ण पदक?

Posted On:- 2024-07-22




अब हॉकी की बात करते हैं जो भारत का लोकप्रिय खेल है। भारत को इसमें पदक की आस हमेशा रहती है। वजह, इस खेल में हमारा कई दशकों तक दबदबा रहा। भारत ने ओलंपिक में आठ स्वर्ण पदक जीते हैं। वह हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद का स्वर्णिम समय था।

- आदर्श प्रकाश सिंह

पेरिस में 2024 के ओलंपिक खेल आरंभ होने ही वाले हैं। 26 जुलाई को उद्घाटन समारोह के साथ ही खेलों के इस महाकुंभ का आगाज हो जाएगा। दुनिया के सभी देश इस बड़े खेल आयोजन में अपनी किस्मत आजमाने उतरेंगे। पिछले ओलंपिक खेल 2021 में जापान की राजधानी टोक्यो में हुए थे। वैसे इसे 2020 में होना था लेकिन कोविड महामारी के चलते एक साल आगे खिसकाना पड़ा। हर चार साल के बाद ओलंपिक खेलों का आयोजन होता है। जहां तक भारत की बात है तो इस बार हमारी तैयारी बहुत अच्छी है। टोक्यो में मिले सात पदकों की वजह से भारतीय दल का जोश हाई है। इस बार पदकों की संख्या दहाई के अंक तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। देशवासियों को उम्मीद है कि पिछली बार से अधिक पदक अवश्य मिलेगा। टोक्यो में भाला फेंक प्रतियोगिता में नीरज चोपड़ा एक सनसनी बन कर उभरे थे। उन्होंने स्वर्ण पदक हासिल कर देश का नाम ऊंचा किया था। ओलंपिक खेलों में एथलेटिक्स में यह भारत का पहला स्वर्ण पदक था। पेरिस में भी नीरज चोपड़ा से वही प्रदर्शन दोहराने की उम्मीद की जा रही है। चोपड़ा ने पिछले एशियाई खेलों में भी स्वर्ण पदक जीता था। पेरिस में भारत के कुल 117 खिलाड़ी पदकों की होड़ में अपनी बाजी लगाएंगे। इनके साथ 140 लोगों का सपोर्ट स्टाफ भी जा रहा है। 

अब हॉकी की बात करते हैं जो भारत का लोकप्रिय खेल है। भारत को इसमें पदक की आस हमेशा रहती है। वजह, इस खेल में हमारा कई दशकों तक दबदबा रहा। भारत ने ओलंपिक में आठ स्वर्ण पदक जीते हैं। वह हॉकी के जादूगर कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद का स्वर्णिम समय था। मगर, एक दौर वह भी आया जब हमारी हॉकी रसातल में चली गई। यूरोपीय टीमें हमसे आगे बढ़ गईं। 1976 के मांटि्रयल ओलंपिक में भारतीय टीम सातवें स्थान पर रही। इसके बाद मास्को ओलंपिक−1980 में भारत ने स्वर्ण पदक जीता लेकिन इसकी अहमियत इसलिए नकार दी गई क्योंकि कई बड़े देशों ने मास्को ओलंपिक का बहिष्कार कर दिया था। जर्मनी, हालैंड, पाकिस्तान, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया आदि देशों ने इसमें भाग नहीं लिया। अफगानिस्तान में सोवियत संघ की सेना की मौजूदगी के विरोध में यह निर्णय किया गया था। बहरहाल, भारत ने फाइनल में स्पेन को कड़े मुकाबले में 4−3 से हराकर हॉकी का स्वर्ण पदक जीत लिया।

इसके बाद पदक का सूखा पड़ गया। भारतीय टीम लगातार हारती रही। ओलंपिक में जाकर खाली हाथ वापस आने का सिलसिला चल पड़ा। एक बार तो ऐसा भी हुआ कि बीजिंग ओलंपिक−2008 के लिए भारतीय हॉकी टीम क्वालीफाई ही नहीं कर पाई। यह बड़ी शर्मनाक स्थिति थी। यह सिलसिला 41 साल बाद टोक्यो में खत्म हुआ और हमारी टीम ने हॉकी का कांस्य पदक जीत लिया। कम से कम हम खाली हाथ नहीं लौटे। इसलिए पिछला ओलंपिक कई मायनों में भारत के लिए बेहतरीन रहा। हालांकि, स्वर्ण पदक अब भी हमसे दूर है। देखना है कि पेरिस में भारत की टीम कैसा प्रदर्शन करती है। उसके  पूल में अर्जेंटीना, बेल्जियम और ऑस्ट्रेलिया जैसी तगड़ी टीमें हैं। कप्तान हरमनप्रीत सिंह की अगुवाई में भारत स्वर्णिम सफलता के लिए बेताब होगा। अनुभवी गोलकीपर श्रीजेश का यह आखिरी ओलंपिक है। टीम चाहेगी कि उन्हें स्वर्णिम विदाई दी जाए। कोच क्रेग फुल्टन ने खिलाडि़यों से अच्छी तैयारी कराई है। इसी टीम ने एशियाई खेलों में भी स्वर्ण पदक जीता था।

पदक की एक उम्मीद मीराबाई चानू से है। भारोत्तोलन में उन्होंने टोक्यो में रजत पदक जीता था। इस बार वह पदक का रंग बदलना चाहेंगी। मुक्केबाजी में हमारी बेटियां पदक ला सकती हैं। चार महिलाएं और दो पुरुष मुक्केबाज पेरिस में दम दिखाने को तैयार हैं। दो बार की विश्व चैम्पियन निकहत जरीन पहली बार ओलंपिक में खेलेंगी। टोक्यो में कांस्य पदक जीतने वाली लवलीना बोरगोहेन पेरिस में नए भार वर्ग में उतरेंगी। उनसे भी पदक जीतने की उम्मीद है। पुरुष मुक्केबाज अमित पंघाल और निशांत देव भी भारत की ओर से चुनौती पेश करेंगे। अब तक मुक्केबाजी में भारत को कांस्य पदक ही मिले हैं। इस बार रजत या स्वर्ण हासिल करने की ख्वाइश जरूर होगी।

कुश्ती में भी भारत को पदक की आशा रहती है। बैडमिंटन में भारत की स्टार पीवी सिंधू ने रियो ओलंपिक में रजत और टोक्यो में कांस्य जीता था। स्वर्ण पदक के साथ वह ओलंपिक का सफर खत्म करना चाहेंगी। पेरिस में वह अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का संकल्प लेकर जा रही हैं।



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