यात्रियों की नजर में केन्द्र सरकार कितनी पास कितनी फेल

Posted On:- 2024-07-23




वरिष्ठ पत्रकार - शमशीर सिवानी

रेल मंत्रालय का तुगलकी फरमान, जनता को मिली राहत या हो रही है हलाकान चर्चा चौराहे की खबर लेकर आपके सामने हाजिर हूं, और आम जनता की सोच और अपना विचार आपके सामने परोस रहा हूं कि यात्रियों की नजर में केन्द्र सरकार कितनी पास और कितनी फेल है, रेल मंत्रालय लगातार जो कदम उठा रही है, और तुगलकी फरमान जो जारी कर रही है उससे जनता को कितनी राहत मिल रही है और कितने हलाकान हो रहे हैं। इसका एनालिसिस करने पर यह सामने आ रहा है कि पिछले दस सालों से केन्द्र में सत्तासीन भाजपा व उसकी सहयोगी एनडीए सरकार पास बहुत कम लेकिन फेल ही नजर आ रही है। भाजपा ने जो नारा दिया था सबका साथ सबका विकास लेकिन कई मामलों में इनका ये नारा खोखला साबित हो रहा है, इसका जीता जागता उदाहरण केन्द्र सरकार के रेल मंत्रालय की कार्यशैली है। पिछले दस सालों में देश की रेल व्यवस्था पूरी तरह लडखडा गई है, हर सप्ताह देश के हर मंडलों में 40 से 50 ट्रेनों को रेलवे के विकास कार्य का नाम लेकर रद्द कर दिया जा रहा है। पूरे देश में मालगाडियों को पासिंग कराया जा रहा है, एक्सप्रेस व पैसेंजर ट्रेने तो माशाअल्लाह है इनकी तो बात छोडिए फ्लाईट के जैसे भारी भरकम किराया देकर दुरंतो, राजधानी व सुपरफास्ट जैसे ट्रेनों को भी कई कई घंटे कही भी रोक दिया जा रहा है और अपने गंतव्य तक 4-6 घंटा तक ये ट्रेने लेट पहुंच रही है। एक्सप्रेस ट्रेने और पैसेंजर ट्रेनो को तो 10 से 12 घंटा तक लेट किया जा रहा है। केन्द्र में सत्तासीन एनडीए सरकार ने रेल यात्रियों को बहुत बडा झटका दिया है। जहां सुपरफास्ट, एक्सप्रेस ट्रेनों में 11 से 12 टू टायर यानि स्लीपर कोच रहता था, उसको घटाकर मात्र 5-6 बोगी कर दिया है और एसी बोगी को अत्यधिक बढा कर भारी भरकम किराया वसूल तो किया ही जा रहा है। सबसे अधिक जो मार पडी है वह मात्र 25 प्रतिशत सीटों का ही सामान्य तौर पर आरक्षण किया जा रहा है, और 75 प्रतिशत सीटों को तत्काल और प्रिमियम तत्काल के लिए आरक्षित रखकर तत्काल में डबल और प्रिमियम तत्काल के नाम पर चार से 10 गुना किराया वसूलकर रेल यात्रियों के जेब में डकैती डालने का काम कर रही है। उपर से रेलवे के अधिकारियों व कर्मचारियों की मिली भगत के कारण काउंटर से स्लीपर के टिकिट के लिए जाने पर वेटिंग बताते है और वही दलालों के पास जाकर उसी टिकिट कई गुना अधिक राशि देने पर उनके द्वारा कंफर्म टिकिट मिल जाता है। रेल मंत्रालय के नये नियम से लोग भारी आक्रोशित है। नया नियम बिना कन्फर्म टिकिट के आरक्षण बोगी में अब यात्रा नही कर पायेंगे, पहले इमरजेंसी में रेलवे के काउंटर से वेटिंग का टिकिट लेकर यात्रा कर सकते थे, लेकिन रेल मंत्रालय का तुगलकी फरमान कि अब बिना कन्फर्म टिकिट के स्लीपर बोगी में नही घुस पायेंगे और घुसने पर भारी भरकम जुर्माना भी वसूला जा रहा है और उसके अगले स्टेशन पर उसे उतार भी दिया जा रहा है। एक तो स्लीपर बोगी आधा कर दिये, 5-6 जनरल बोगी जो था उसको कम करके दो तीन कर दिये उपर से बिना कन्फर्म टिकिट स्लीपर में नही घुसने देने का रेलवे का फरमान का निर्णय बहुत ही गलत है। देश में सबसे अधिक निवास करने वाले गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार रहते है। देश में प्रतिदिन 2 करोड 40 हजार लोग यात्रा करते है जिसमें 20 प्रतिशत लोग एसी में सफर करते है जबकि 80 प्रतिशत लोग स्लीपर और जनरल बोगी मे सफर करते हैं, खासतौर से गर्मी के दिनों में तो जनरल बोगी में ये स्थिति रहती है कि अत्यधिक भीडभाड होने से कई लोगों की मौत तक हो जाती है, आखिर ये मध्यमवर्गीय और गरीब लोग अपनी यात्रा कैसे करें। 0 आजीवन लाखों रूपये वेतन व पेंशन और ट्रेनों व फ्लाईट में फ्री में यात्रा की सुविधा पाने वाले क्या जानेंगे आम जनता का दुख दर्द रेल मंत्रालय और रेल प्रशासन में बैठे लोग अमीर और व्हीआईपी लोग है जो बिना सोचे समझे अपनी सोच आम जनता पर थोपते है। जिस दिन ऐसे तुगलकी फरमान जारी करने और आम जनता पर थोपने वाले इन मंत्रियों व अधिकारियों की सारी सुविधाएं छिन ली जायेगी और व्हीआईपी होने की मिलने वाली सुविधाएं हटा ली जाये और आम जनता की तरह जिंदगी जीना पडेगा उस दिन उनको आम जनता और गरीबों का दर्द समझ आयेगा। इन नेताओं व सांसदों व विधायकों को क्या इनकों तो एक बार चुनाव जीत जाने के बाद आजीवन ट्रेनों और फ्लाईटस में आने जाने की सुविधा फ्री मिलती है, वर्तमान तो वर्तमान है इनके मंत्री, सांसद, विधायक नही रहने पर भी आजीवन इनको लाखों रूपये पेंशन के रूप में मिलता है, ये ऐश की जिन्दगी जीते है और अधिकारी वर्ग को हर महिने  मोटी तनख्वाह तो आती ही है इसके अलावा 95 प्रतिशत अधिकारियों के पास हर महिने लाखों रूपये दो नंबर की मोटी रकम या उपहार आते हैं तो ये गरीबों व आम आदमी का दर्द क्या समझेंगे? जिस दिन इनकी ये सभी सुविधाएं खत्म कर दी जाये और आम जनता की तरह जिंदगी जियेगें उस दिन इनको मध्यम व गरीब लोगों का दुख दर्द समझ आयेगा। 0 टिकिट कन्फर्म नही होने और ट्रेन रद्द होने पर रेलवे मय ब्याज वापस करें लागों को टिकिट की राशि:- स्लीपर कोच में जब वेटिंग में टिकिट होनेे के कारण जब व्यक्ति यात्रा नही कर पायेगा तो उसका पूरा किराया मय ब्याज के रेलवे को वापस करना चाहिए। जब रेलवे टिकिट कैंसल कराने पर उसके रिफंड करते समय राशि काटकर वापस करता है तो यात्रियों को टिकिट कंफर्म नही होने पर और जितने यात्रियों ने ट्रेन से आने जाने के लिए यदि आरक्षण कराया है चाहे वह वेटिंग हो गया कन्फर्म टिकिट यदि जब ट्रेन रद्द कर दिया जाता है तो उन सभी के टिकिट की राशि उसे मय ब्याज के रेलवे वापस करें। ० ये भी है लोकसभा में भाजपा की सीटे कम होने का एक महत्वपूर्ण कारण:- भाजपा और एनडीए की सीटें कम आने का सबसे अधिक एक महत्वपूर्ण कारण रेल मंत्रालय की कार्यशैली और इस प्रकार के और कई तुगलकी फरमान भी है। ये तो साफ दिखाई दे रहा है कि केन्द्र सरकार अधिकांशतर कार्य अमीरों को लाभ पहुंचाने वाला ही कर रही है। देश में वंदेभारत ट्रेन की नही बल्कि एक्सप्रेस ट्रेनों और उसमें एसी कोच कम और स्लीपर बोगी व जनरल डब्बा अधिक करने की आवश्यकता है। इस सरकार में सबसे अधिक दोहन खनिज संपदा का हो रहा है और उसे परिवहन के लिए  सबसे अधिक किराये वाली दुरंतों, राजधानी, व अन्य सुपरफास्ट ट्रेनों को भी घंटों कहीं भी रोक रोक कर और हर सप्ताह पूरे देष में 40 से लेकर लगभग 100 ट्रेनों को कैंसल करके यात्रियों को बेहद हलाकान किया जा रहा है।

एक तो करोना काल में आपदा को अवसर में भुनाने वाली केन्द्र की मोदी सरकार ने उसी ट्रेन को स्पेशल ट्रेन का नाम देकर जमकर लूटा। इसके बाद कोरोना के समय से ही रेलवे ने जहां वरिष्ठ नागरिकों, खिलाडियों, विकलांगों, कलाकारों और अधिमान्य पत्रकारों को दिये जाने वाला रियायत खत्म कर दिया। रेल मंत्रालय के तुगलकी फरमान ने देश का मध्यमवर्गीय एवं गरीब भारी आक्रोश में है। एक ओर जहां भारी भरकम खर्चे वाली वंदे भारत ट्रेन चलाई जा रही है, जिसमें गिने चुने यात्री ही सवार रहते है, बाकी 75 प्रतिशत सीटे खाली रहती है, इसके परिचानल में भारी भरकम खर्च होने से रेल मंत्रालय को भारी नुकसान हो रहा है, फिर भी लगातार वंदे भारत ट्रेनों की संख्या बढाई जा रही है और चलाई जा रही है, जबकि ठीक इसके विपरीत बाकी सामान्य गाडियों या एक्सप्रेस कई ट्रेनों को जिसमें थोडी कम सवारी कभी कभी हो जाती है, ऐसे ट्रेनों को बंद किया जा रहा है। हर सप्ताह पूरे देश में 40 से लेकर लगभग ार का जो नारा दिया था उसमें 240 सीटों पर सीमटने और उसके बाद वर्तमान में उपचुनाव में भाजपा को 100  ट्रेनें कैंसल कर दिये जाने से लोग गई गुना भाडा अधिक देकर या तो विमान सेवा सीधा उनके गतंव्य ते जाने के लिए यदि उडान है तो फ्लाईट से यां नही तो प्राईवेट वाहनों को कई गुना अधिक दर पर किराये में लेकर लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचना पड रहा है। तीन तीन महिने पहले ट्रेन में आरक्षण कराने के बाद भी अचानक ट्रेने रद्द करना ये रेल प्रशासन की आम बात हो गई है। गत लोकसभा चुनाव में भाजपा ने अबकी बार चार सौ पार का जो नारा दिया था उसमें 240 सीटों पर सीमटने और उसके बाद वर्तमान में उपचुनाव में भाजपा को 13 सीटों में से मात्र 2 सीटें मिलने का एक बहुत बडा कारण रेल मंत्रालय की इस प्राकर की तुगलकी फरमान और उनकी गलत कार्यशैली है। आम जनता के प्रति लचीला रूख यदि केन्द्र सरकार और रेल मंत्रालय नही अपनाया और यही स्थिति यदि रही तो आने वाले यूपी बिहार सहित अन्य राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव में भी भाजपा और एनडीए गठबंधन को भारी नुकसान होगा। सबसे गरीब प्रदेश माना जाने वाले बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार बहुत ही सुलझे हुए व जनहितैशी वाले नेता है और वही तेलगूदेशम पार्टी के नेता चन्द्रबाबू नायडू भी अपने कार्य से जनता के दिलों में राजकरने वाले नेता है ये दोनो वर्तमान केन्द्र सरकार में सबसे बडे सहयोगी है और केन्द्र सरकार और रेलवे के तुगलकी फरमान पर ऐसे चुप्पी साधना अच्छी बात नही है, क्योंकि अगले वर्ष बिहार में चुनाव है और इसका खामियाजा बिहार में नितीश कुमार को भी कहीं न भुगतना पड जाये।

   



Related News
thumb

मुफ्त की संस्कृति से पंजाब-हिमाचल की बढ़ी आर्थिक मुश्किलें

कैग की रिपोर्ट बताती है कि कैसे पंजाब राज्य का राजस्व घाटा, सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 1.99 फीसदी लक्ष्य के मुकाबले 3.87 फीसदी तक जा पहुंचा है। यह ब...


thumb

तुरंत उपचार और सावधानी में ही बचाव

बरसात के इन दिनों में धान आदि की खेती का मौसम होता है, और यही समय सर्पदंश के लिए सबसे अधिक जोखिमपूर्ण होता है। सांप के काटने की घटनाएं अधिकांशतः ग्...


thumb

दुष्कर्म बनाम कानून दर कानून

देष में अनेक कानूनी उपाय और जागरूकता अभियानों के बाबजूद बच्चों एवं महिलाओं से दुश्कर्म की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं।


thumb

साक्षरता का हो रहा डिजिटलीकरण

साक्षर होने का सीधा-सीधा मतलब अक्षर ज्ञान से लगाया जाता है । देखा जाए तो साक्षरता की पारंपरिक परिभाषा आमतौर पर पढ़ने और लिखने की क्षमता से संदर्भित...


thumb

स्किल्स और विशेषज्ञता के साथ अच्छा इंसान बनना सिखाता है 'शिक्षक'

शिक्षक जो जीवन के व्यावहारिक विषयों को बोल कर नहीं बल्कि स्वयं के उदाहरण से वैसा करके सिखाता है। शिक्षक जो बनना नहीं गढ़ना सिखाता है। शिक्षक जो केवल...


thumb

अब विकसित भारत के सपने से चौंक रही है दुनिया

देश को आये दिन मिल रही वैश्विक और राष्ट्रीय उपलब्धियों से यह आईने की तरह बिल्कुल साफ है कि भारत की छवि अब उपेक्षित और पिछड़े देश की नहीं है। बल्कि ...