लो लालू भी आ गए ममता के पक्ष में

Posted On:- 2024-12-10




सुनील दास

राजनीतिक दल हो या गठबंधन हो उसकी मजबूती का प्रमाण तो यही माना जाता है कि जनता उस पर भरोसा करती या नहीं है। जनता उस पर भरोसा करती है तो वह चुनाव में उसकाे वोट देती है,चुनाव जिताती है।जनता उस पर भरोसा नहीं करती है तो न तो चुनाव में ज्यादा वोट देती है, न ही चुनाव जिताती है। लोकतंत्र में जनता ही पैमाना है, जनता ही कसौटी है। जो खरा उतरेगा,चुनाव जीतेगा, जो खरा नहीं उतरेगा,चुनाव हारेगा और हारता रहेगा। हर राजनीतिक दल व गठबंधन को यह स्वीकार करना पड़ता है कि जनता ने चुनाव में उसके लिए क्या फैसला किया है. उसे जिताया है या हराया है, उस पर भरोसा किया या नहीं किया।

कांग्रेस लोकसभा चुनाव में ९९ सीटें मिल गई थी तो समझ रही थी जनता ने उस पर भाजपा से ज्यादा भरोसा किया है, वह चुनाव जीत गई है और भाजपा चुनाव हार गई है। उसकी गलतफहमी को जनता ने हरियाणा व महाराष्ट्र में भाजपा को जिताकर दूर कर दी है। जनता का सीधा संदेश है, लोकसभा चुनाव में भी उसका भरोसा भाजपा पर ज्यादा था, कांग्रेस पर कम था, क्योंकि जनता ने भाजपा को २४० और कांग्रेस को ९९ सीटें ही दी थीं। जनता ने भाजपा की सीटें कम लेकिन इतनी कम नहीं की कि वह सरकार न बना सके। कांग्रेस की सीटें जनता ने बढ़ाई जरूर लेकिन इतनी नहीं बढ़ाई कि कांग्रेस की सरकार बन जाए।

कांग्रेस व उसका नेतृत्व जरा सी सफलता पर हवा में उड़ने लगता है। जनादेश का अपमान करता है तो जनता उसे अगले चुनाव में हकीकत की जमीन पर पटक देती है। लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस व उसका नेतृत्व हवा में उड़ रहा था, हरियाणा व महाराष्ट्र के चुनाव में हराकर जनता ने जमीन पर पटक दिया है तो कांग्रेस को समझ नहीं आ रहा है कि यह क्या हो गया है, यह क्या हो रहा है।राजनीतिक दल का बड़ा नेता हो या गठबंधन का नेतृत्व करने वाला नेता हो, उससे उम्मीद तो यही की जाती है कि वह चुनाव के बाद चुनाव जीते और अपनी पार्टी को मजबूत करे,गठबंधन को मजबूत करे।

राहुल गांधी यही तो नहीं कर पा रहे हैं। तीन चुनाव में मौका मिला वह एक चुनाव तो जिताते तो कांग्रेस व इंडी गठबंधन को भी अच्छा लगता कि हारने के बाद हमारा नेता जिताता तो है। लोकसभा चुनाव में तीनों बार राहुल गांधी हार गए और खुद को मोदी को टक्कर देेने वाला नेता मानते हैं, कौन यकीन करेगा। अब तो इंडी गठबंधन के दलों ने मानने से इंकार कर दिया है कि वह गठबंधन का नेतृत्व करने लायक हैं। ममता बैनर्जी ने सीधे नहीं कहा कि राहुल गांधी को हटा देना चाहिए। उन्होंने अपना दावा पेश किया कि वह गठबंधन का नेतृत्व बेहतर तरीके से कर सकती है।

टीएमसी की तरफ से बताया गया कि राहुल गांधी से ममता बैनर्जी कैसे बेहतर नेता हैं।टीएमसी सांसद कीर्ति आजाद ने कहा कि भाजपा से लड़ने का माद्दा सिर्फ ममता में है, वही भाजपा को हरा सकती है, टक्कर दे सकती हैं।उन्होंने बताया भाजपा के खिलाफ कांग्रेस का स्ट्राइक रेट १० फीसदी है, जबकि ममता बैनर्जी का ७० फीसदी है। भाजपा से सीधी लड़ाई में कांग्रेस हार जाती है, हरियाणा, मप्र, छत्तीसगढ़, राजस्थान इसका उदाहरण हैं।उनका कहना है कि विपक्ष को भाजपा के खिलाफ लंबी व निर्णायक लड़ाई लड़नी है तो यह कांग्रेस व राहुल गांधी के नेतृत्व में संभव नहीं है।ममता में भाजपा से सीधी लड़ाई लड़ने की क्षमता है,अब कांग्रेस को इस सच्चाई का स्वीकार करना चाहिए और गठबंधन का नेतृत्व खुद ही छोड़ देना चाहिए।

ममता ने राहुल गांधी के नेतृत्व के खिलाफ बोलना शुरू किया तो शुरू में सब सोच रहे थे कि क्या कहना चाहिए। कई लोग तो यही कह सके कि जो कुछ होना चाहिए आम सहमति से होना चाहिए यानी राहुल गांधी को हटाना है तो आम सहमति से हटाना चाहिए। बाद में सबको बात समझ में आई कि राहुल गांधी के कारण गठबंधन को कोई फायदा नहीं हो रहा है, उसकी साख गिर रही है। इसलिए उनकी जगह किसी और को मौका दिया जाना चाहिए। ममता ने पहले ही इसके लिए हामी भर दी है, अब ममता के पक्ष में सपा,उध्दव,शरद पवार सहित ज्यादातर लोग आ गए है।

लालू यादव ने यह कहकर ममता बैनर्जी को इंडिया गठबंधन की कमान दी जाए। एक तरह से फैसला कर दिया है कि अब राहुल गांधी को हटाकर ममता को गठबंधन का नेता बनाने का वक्त आ गया है। लालू यादव के ही कारण तो राहुल गांधी को नीतीश कुमार की जगह गठबंधन की कमान सौंपी गई थी अब संयोग देखिए कि राहुल गांधी के खिलाफ लालू यादव भी मुखर हो गए हैंं। लालू यादव ही राहुल गांधी के नेतृत्व को बचा सकते थे लेकिन उन्होंने ही हाथ खड़े कर दिए है तो अब राहुल गांधी ज्यादा दिन गठबंधन के नेता बने नहीं रह पाएंगे। 

जब भी बैठक होगी उनको हटाकर ममता को कमान सौंप दी जाएगी। अब सबको गठबंधन की बैठक का इंतजार है कि यह बैठक कब होती है। यह बैठक जब भी होगी कोई कहे भले नहीं कि राहुल गांधी गठबंधन का नेतृत्व करने लायक नहीं थे लेकिन संदेश को पूरे देश में यही जाएगा कि राहुल गांधी को गठबंधन का नेतृत्व लायक समझा गया था लेकिन वह लायक नहीं निकले।गठबंधन कोई कांग्रेस पार्टी तो है नहीं कि राहुल गांधी हारते जाएं और कोई कुछ कहने की हिम्मत ही न करे, गठबंधन में कहा भी जाएगा और बदला भी जाएगा।



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