वक्त बदलता है लोग भी बदलते हैं, बदलना ही पड़ता है,वक्त के साथ चलने के लिए बदलना जरूरी होता है। जो लोग नहीं बदलते हैं वह अतीत में जीते रहते हैं,उनका वर्तमान से कोई संबंध नहीं रह जाता है, उनकी अपनी पुरानी एक यथास्थितिवाद की दुनिया होती है, जिसमें वह यथास्थिति बनी हुई है, यह सोचते रहते हैं और खुश रहते हैं।यह दौर कांग्रेस का दौर नहीं है यानी अब धर्मनिरपेक्षता का दौर नहीं है। जब धर्मनिरपेक्ष होना गर्व की बात होती थी और लोगों को धर्मनिरपेक्षता की बातें अच्छी लगती थी, ऐसे नेता अच्छे लगते थे, ऐसे लोग अच्छे लगते थे।देश की राजनीति में कांग्रेस की धर्मनिरपेक्षता की तूती बोलती था, कांग्रेस यह तय करती थी कि देश का कौन सा राजनीतिक दल धर्मनिरपेक्ष है और कौन सा राजनीतिक दल सांप्रदायिक है।
तब धर्मनिरपेक्ष दल सांप्रदायिक दलों से, नेताओं से लोगों से दूरी बना कर रखते थे, एक तरह से उनको राजनीतिक अछूत समझा जाता था।तब कांग्रेस की नजर से देखने वाले भाजपा को सांप्रदायिक दल समझते थे यानी वह देश व राजनीति के लिए बुराई समझी जाती थी, सांप्रदायिक होने का मतलब तब यह निकाला जाता था कि यह एक धर्म विशेष के लोगों की बात करता है, यह प्रगतिशील नहीं है,उदार नहीं है, इसके लिए समानता कोई मायने नहीं रखती है।जब धर्मनिरपेक्षता का बोलबाला था तो कांग्रेस को बहुमत मिला करता था, सेकुलर सरकार बना करती थी, साझा सरकार भी बनती तो वह सेकुलर होती थी।तब कोई कल्पना नहीं करता था कि कभी ऐसा वक्त आएगा कि जिस पार्टी को सांप्रदायिक समझा जाता है, वह बहुमत वाली सरकार बनाएगी, एक बार नहीं दो बार बनाएगी, तीसरी बार गठबंधन की सरकार बनाएगी।
वक्त बदलता है तो ऐसा होता है। अब मोदी युग है, मोदी युग में कोई भाजपा को सांप्रदायिक नहीं कहता है, उसे हिदुत्व की विचारधारा वाली राष्ट्रवादी पार्टी माना जाता है, अब उसे कांग्रेस से बेहतर पार्टी माना जाता है, जनता अब उसे बार बार चुनती है। जनता को अब हिंदुत्व की बात करने वाले, राष्ट्रवाद की बात करने वाले,विकसित भारत की बात करने वाले, बहुसंख्यक लोगों की बात करने वाले, उनकी चिंता करने वाले लोग अच्छे लगते हैं, नेता अच्छे लगते है, सरकार अच्छी लगती है।अब कहा जाता है कि हिंदू समाज जाग रहा है, वह अपने हित व अहित की बात समझ रहा है, इसलिए राजनीतिक सत्ता उन्ही लोगों के हाथ में जिन्हें हिंदू समाज चाहता है।
अब देश के लोग ऐसी सरकार चाहते हैं जो हिंदू समाज का ख्याल रखने के साथ देश के मजबूत व विकसित बनाए। देश के लोगों के लिए मोदी सरकार ऐसी ही सरकार है, इसलिए केंद्र के साथ ही राज्यों में जनता उसी को पसंद चुन रही है।हरियाणा व महाराष्ट्र इसका ताजा उदाहरण है। हिंदुत्व विरोधी राजनीतिक दलों को यकीन नहीं आ रहा है कि देश की जनता ऐसा भी कर सकती है,वक्त बदल गया है अब देश की जनता ऐसा कर सकती है।आगे भी करेगी । हरियाणा व महाऱाष्ट्र तो शुरुआत है,वक्त बदल गया है इसका उदाहरण हरियाणा व महाराष्ट्र राजनीति में है तो कानून के क्षेत्र में अब हिंदुत्व की बात करने वाले इस बदलाव का प्रमाण है।
विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में इलाहाबाद हाईकाेर्ट के जज शेखर यादव ने कहा है कि भारत बहुसंख्यक आबादी के हिसाब से काम करेगा।यह हिंदुस्तान है यह देश यहां रहने वाले बहुसंख्यकों की इच्छा के अनुसार चलेगा।न्याय क्षेत्र से जुड़े कुछ लोगों को यह सेवा नियमों, ली गई शपथ के आधार पर गलत लग सकता है।लेकिन देश के करोड़ो हिंदुओं का यह अच्छा लगता है, यह सही लगता है, ऐसे ही लोग अब हिंदू समाज के नेता हो सकतेे हैं। हिंदू समाज काे आगे ले जाने वाले हो सकते हैं। अब हर क्षेत्र मे शेखर यादव जैसे लोग सामने आएंगे और वही बोलेंगे जो हिंदू समाज को अच्छा लगेगा। जो हिंदू समाज के लिए सही होगा।यह बदलाव का दौर है। बदलाव के दौर में शेखर यादव जैसे लोग तो सामने आएंगे ही।
बदलाव का यह दौर मोदी के पीएम बनते ही शुरू हुआ है और दस साल में देश में बहुत कुछ बदला है। राममंदिर देश के बहुसंख्यक समाज का सपना था,पूरा हुआ। देश के प्राचीन मंदिरों का कायाकल्प हो रहा है. यह भी हिंदू समाज चाहता है। अपने आस्था के केंद्र हिंदू समाज वापस चाहता है। राममंदिर तो शुरुआत है, अभी कई आस्था के केंद्र हिंदू समाज शांति से कानून के रास्ते वापस प्राप्त करेगा। जज शेखर यादव ने सच कहा है कि अब होगा वही जो बहुसंख्यक हिंदू समाज चाहता है, देश में १४ के बाद अब वही तो हो रहा है तो हिंदू समाज चाहता है, वही होगा जो हिंदू समाज चाहेगा।
ऐसे में जो हिंदू समाज के पक्ष में बात करेगा उसे कुछ लोग भले ही गलत समझे लेकिन हिंदू समाज उसे गलत नहीं समझेगा। शेखर यादव के खिलाफ बोलने वाले और लिखने वाला और महाभियोग लाने वाले सोच रहे हैं कि वह शेखर यादव को पद से हटाकर कोई तीर मार लेंगे तो उनको मालूम होना चाहिए कि शेखर यादव को पद से हटाया गया तो वह हिंदू समाज के हीरो हो जाएंगे। हिंदू समाज उनको और बड़ा पद दे सकता है।शेखर यादव का विरोध करने वालों को क्या मालूम कि उन्होंने जो कुछ कहा है अनजाने में नहीं कहा है, जानबूझकर कहा हो ताकि सेकुलर उनका विरोध करें और उनका देश भर में नाम हो।
जो भी सनातनी है वह सेकुलरों के विरोध से डरता नहीं है क्योंकि यह दौर सनातनियों को है। पूर्व सीजेआई वायवी चंद्रचूड़ भी सेकुलरों के विरोध से नहीं डरे और अपने घर में गणपति की पूजा की पीएम को बुलाया।यही नहीं उन्होंने तो बड़ी हिम्मत से कहा कि जब राममंदिर का फैसला करना था तो मैंने श्रीराम का ध्यान किया था। यह बात उन्होंने जानबूझकर कही थी ताकि सेकूलरों को मिर्ची लगे।सेकुलरों को पता नहीं है कि सनातनी जब भी कोई बड़ा फैसला करता है तो भगवान की शरण में जाता है।सेकूलर अपने दौर में कल्पना नहीं कर सकते थे कि कोई सीजेआई वायवी चंद्रचूड़ की तरह अपने दिल की बात कर सकता है। चाहे चंद्रचूड़ हो, या शेखर यादव यह बदलते भारत में बदलाव का संकेत है। बहुसंख्यक समाज के मजबूत होने, एकजुट होने का संकेत है।
किसी भी राजनीतिक दल को बोलने का मौका मिलता है तो ज्यादा नहीं बोलना चाहिए।ऐसा नहीं कहना चाहिए कि ऐसा तो उस पार्टी में हो सकता है।हमारी पार्टी के लोग...
हर सरकार सोचती है कि उसे जनहित व देशहित में कुछ तो ऐसा काम करना चाहिए जिससे उसका नाम भविष्य में लिया जाता रहे। इसलिए कई सरकारें पुरानी नीतियों को ब...
कोई भी सरकार हो वह भ्रष्टाचार पर पूरी तरह रोक नहीं लगा सकती।खासकर प्रशासनिक स्तर पर जो भ्रष्टाचार होते हैं
हर आदमी की स्वाभाविक इच्छा होती है कि देश,राज्य,शहर,वार्ड,परिवार में उसे उसके किसी अच्छे काम के लिए याद किया जाए।
.देश में कहीं मुसलमान वोट बैंक के लिए दलों के बीच होड़ लगी रहती है कि देखो तुम्हारी चिंता हम करने वाले है, देखो,तुम्हारे साथ हमेशा खड़े रहने वाले ह...
अगर किसी राजनीतिक दल का पूरा इतिहास संविधान विरोधी और संविधान निर्माता विरोधी हो तो उसके सबसे बड़े नेता को संविधान रक्षक बनने का प्रयास नहीं करना च...