रेपो दर में कमी के साथ ही भारत में ब्याज दरों के नीचे जाने का चक्र प्रारम्भ

Posted On:- 2025-02-07




भारतीय रिजर्व बैंक के नवनियुक्त अध्यक्ष श्री संजय मल्होत्रा ने अपने कार्यकाल की प्रथम मुद्रानीति दिनांक 7 फरवरी 2025 को घोषित की। अभी तक प्रत्येक दो माह के अंतराल पर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा घोषित की गई मुद्रा नीति के माध्यम से लिए गए निर्णयों का देश में मुद्रा स्फीति को नियंत्रण में रखने में विशेष योगदान रहा है।

हालांकि पिछले लगभग 5 वर्षों में रेपो दर में किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया गया है। मई 2020 में अंतिम बार रेपो दर में वृद्धि की घोषणा की गई थी। इसके बाद घोषित की गई 29 मुद्रा नीतियों में रेपो दर को स्थिर रखा गया है और यह अभी भी 6.5 प्रतिशत के स्तर पर कायम है।

परंतु,अब फरवरी 2025 माह में घोषित की गई मुद्रा नीति में रेपो दर में 25 आधार बिंदुओं की कमी करते हुए इसे 6.50 प्रतिशत से 6.25 प्रतिशत पर लाया गया है।

केंद्र सरकार द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक को देश में मुद्रा स्फीति की दर को नियंत्रण में रखने हेतु मेंडेट दिया गया है और इस मेंडेट पर ध्यान रखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने देश में मुद्रा स्फीति को नियंत्रण में रखने में सफलता भी पाई है। परंतु, वित्तीय वर्ष 2024-25 के प्रथम एवं द्वितीय तिमाही में देश के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर घटकर 5.2 प्रतिशत एवं 5.4 प्रतिशत के निचले स्तर पर आ गई थी, जबकि वित्तीय वर्ष 2023-24 में सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर 8.2 प्रतिशत की रही थी।

अतः देश में आर्थिक विकास की दर पर भी अब विशेष ध्यान देने की आवश्यकता प्रतिपादित हो रही थी, इसीलिए भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो दर में 25 आधार बिंदुओं में कमी की घोषणा की है। रेपो दर में कमी करने का उक्त निर्णय मुद्रानीति समिति के समस्त सदस्यों ने एकमत से लिया है।  

भारतीय रिजर्व बैंक के आंकलन के अनुसार वित्तीय वर्ष 2024-45 में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि दर 6.4% की रहेगी और वित्तीय वर्ष 2025-26 में यह बढ़कर 6.7 प्रतिशत के स्तर पर पहुंच जाएगी।

इस वर्ष खरीफ की फसल बहुत अच्छे स्तर पर आई है एवं आगे आने वाली रबी की फसल भी ठीक रहेगी क्योंकि मानसून की बारिश अच्छी रही थी और देश के जलाशयों में, क्षमता के अनुसार, पर्याप्त पानी इन जलाशयों में उपलब्ध है, जिसे कृषि सिंचाई के लिए उपयोग में लाया जा रहा है और जो अंततः कृषि की पैदावार को बढ़ाने में सहायक होगा।

इससे ग्रामीण इलाकों में उत्पादों की मांग में वृद्धि देखी गई है। हालांकि शहरी इलाकों में उत्पादों की मांग में अभी भी सुधार दिखाई नहीं दिया है।

परंतु हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा मध्यमवर्गीय करदाताओं को आय कर में दी गई जबरदस्त छूट के चलते आगे आने वाले समय में शहरी क्षेत्रों में भी उत्पादों की मांग में वृद्धि दर्ज होगी और विनिर्माण क्षेत्र में कार्यरत औद्योगिक इकाईयों की उत्पादन वृद्धि दर तेज होगी। सेवा क्षेत्र तो लगातार अच्छा प्रदर्शन कर



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