कई बार आदमी पुरानी समस्या खत्म हो जाती है तो बड़ा खुश होता है कि चलो बरसों पुरानी समस्या तो समाप्त हुई। अदालत ने उसे बरी कर दिया है। अदालत से कोई बरी हो जाए तो यह बहुत बड़ी बात होती है, बड़ी बात होती है तो बड़ी खुशी भी होती है कि उनको साबित नहीं करना पड़ा कि फलाने मामले में उनका कोई हाथ नहीं था। फलाने मामले में तो उन्हें अदालत ने साफ बरी कर दिया है कि इस मामले में इनकी कोई भूमिका ही नहीं थी। इनके खिलाफ जो केस किया गया था वह झूठा है।सीबीआई तो सीबीआई है,उसके अपने अधिकार होते हैं, अधिकार होता है तो उसका उपयोग भी किया जाता है और वह कहती है कि परेशानी अभी खत्म नहीं हुई है, सीडी कांड की पिक्च्रर अभी बाकी है।
छत्तीसगढ़ के सीडीकांड के मामले में सीबीआई ने कोर्ट में रिवीजन याचिका लगाई है।अदालत इस पर सुनवाई कर स्थिति स्पष्ट करेगी।इसमें सीबीआई स्पेशल कोर्ट के दिए फैसले के खिलाफ अपना पक्ष रखेगी। मााना जा रहा है कि सीबीआई इसमें सरकारी गवाह बने एक मीडिया हाउस का बयान अदालत के सामने रखने वाली है।मीडिया हाउस ने बयान दिया है कि तत्कालीन पीसीसी चीफ भूपेश बघेल ने अपने सरकारी आवास पर २७ अक्टूबर को कांफ्रेंस की थी और इसी दौरान कथित रूप से सीडी बांटी गई थी।इसी सीडी की क्लींपिंग को चैनल में चलाया गया था। चैनल के दफ्तर से पुलिस ने यह सीडी जब्त की थी।माना जा रहा है कि सीबीआई सुनवाई के दौरान यह तथ्य ऱख सकती है कि इस साजिश में भूपेश बघेल शामिल थे। प्लानिंग के तहत घटना के पहले कारोबारी विजय भाटिया से मिलने दिल्ली गए।जहां होटल में विनोद वर्मा, कैलाश मुरारका से मुलाकात की।यहीं पर सीडी की ५०० कापी करा कर बांटने का फैसला किया गया था।
छत्तीसगढ़ की राजनीति में सीडी कांंड को अहम माना जाता है. इस मामलें भूपेश बघेल को गिरफ्तार किया गया था तो छत्तीसगढ़ की राजनीति में भूचाल आ गया था और भूपेश व कांग्रेस के पक्ष में यहीं से माहौल बनना शुरू हुआ था।राज्य की जनता को लगा था कि अब कांग्रेस के पास रमन सिंह के विकल्प के रूप में एक नेता है। भूपेश बघेल रमन सिंह और भाजपा सरकार के खिलाफ निरंतर आक्रामक रहे और चुनाव में इसका फल सरकार बदलने के रूप में आया था।सीडी कांड भी सरकार के जाने का एक कारण था इसलिए भाजपा ने भूपेश बघेल को इसके नेता के रूप में पेश किया कि इसी ने सीडी बनवाई है, इसी ने बंटवाई है। सात साल बाद आए कोर्ट के फैसले से साबित हो गया है कि भाजपा जो कह रही है, सीबीआई उसके सबूत कोर्ट में पेश नहीं कर सकी और कोर्ट ने भूपेश बघेल को इस मामले में बरी कर दिया।
यह भाजपा के लिए एक बड़ा झटका था और भूपेश बघेल के लिए यह प्रचार करने का मौका था कि भाजपा ने उसे झूठे मामले में फंंसाने का प्रयास किया था,यह बात कोर्ट के फैसले से साबित होती है। ईडी ने भूपेश बघेल के घर में हाल ही मे छापा मारा तो भी भूपेश बघेल ने सीडी कांड में बरी होने की बात तो दोहराया था कि पूरे देश व प्रदेश को पता है कि भाजपा सीधी लड़ाई नहीं लड़ सकती इसलिए ईडी,सीबीआई और आईटी को आगे कर देती है।मुझे कोर्ट ने सीडी कांड में बरी कर दिया इससे भाजपा बौखला गई है। भूपेश बघेल और कांग्रेस शुरू से विक्टिम कार्ड भी खूब खेला है, जनता को जब मौका मिला यह बताने की कोशिश की है भूपेश बघेल को भाजपा जब वह कांग्रेस अध्यक्ष थे, तब से परेशान कर रही है,राज्य व केंद्र की एजेंसियो को तब से उनके पीछे लगाकर रखा गया है। रमन सिंह ने तो उनके पैतृक गांव राजस्व का दल भेजा था,उनकी माताजी और पत्नी को ईओडब्लू में बैठाया गया था।सीडी का झूठा मुकदमा दर्ज कर जेल भेजा,उनके पुत्र को आधारहीन मामले में पूछताछ करने थाने बुलवाया।
भाजपा जानती है कि कांग्रेस के मजबूत किले के आधार स्तंभ भूपेश बघेल ही हैं। इसे कमजोर करके ही कांग्रेस को यहां से कमजोर किया जा सकता है। इसलिए भूपेश बघेल जैसे ही एक मामले में बच जाते हैं,उनको फिर से उसी या नए मामले में लपेटने का प्रयास किया जाता है और संदेश दिया जाता है कि पिक्चर अभी खत्म नहीं हुई है, पिक्चर अभी बाकी है।भूपेश बघेल भी यही करते थे,उन्होंने भी रमन सिंह के खिलाफ खूब प्रचार किया क्योंकि वह भी जानते थे कि उस जमाने में भाजपा रमन सिंह के कारण मजबूत मानी जाती थी। भूपेश बघेल ने चुनाव जीतने के बाद रमन सिंह को छत्तीसगढ़ से हटाए जाने के लिए बहुत कुछ किया लेकिन भाजपा ने रमन सिंह को नहीं हटाया और रमन सिंह भी नहीं गए। जैसे वर्तमान में भाजपा चाहती है कि भूपेश बघेल को कांग्रेस यहां से हटा दे,कांग्रेस ने भूपेश बघेल को महासचिव के साथ पंजाब का प्रभारी बनाया है लेकिन भूपेश बघेल यहां बने हुए हैंं। भाजपा व कांग्रेस के बड़े नेता के खिलाफ प्रचार अभियान दोनों दलों के लिए कोई नई बात नहीं है।यह चलता रहा है और चलता रहेगा।कभी रमन सिंह टारगेट थे तो आज भूपेश बघेल टारगेट है।
सरकार किसी भी राजनीतिक दल की हो अगर उसकाे आर्थिक नुकसान उठाकर राजनीतिक फायदा होता है तो वह राजनीतिक फायदे के लिए आर्थिक नुकसान उठाना पसंद करती है।
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