प्रमोद भार्गव
18वीं लोकसभा चुनाव के आए परिणामों ने तय कर दिया है कि ये परिणाम चौंकाने वाले हैं। 64 करोड़ 2 लाख मतदाताओं ने इस चुनाव में अपने मत का उपयोग कर अपने प्रतिनिधि को चुन लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा लगाया गया 400 पार का नारा साकार नहीं हुआ लेकिन राजग गठबंधन को जो 295 के करीब सीटें मिल रही हैं, वे नरेंद्र मोदी के प्रचार अभियान और लोक-कल्याणकारी योजनाओं को जमीन पर उतारने के चलते ही मिली हैं। यही नहीं भारतीय जनता पार्टी अपने सहयोगी दलों के साथ ओडिषा, आंध्रप्रदेश, अरुणाचल और सिक्किम में विधानसभा चुनाव जीतकर सरकार बनाने जा रही है। धारा-370 और 35-ए के खात्मे के बाद जम्मू-कश्मीर में पहली बार लोकसभा के चुनाव हुए हैं। इस चुनाव में कश्मीर में आजादी के बाद से ही सत्तारूढ़ रहे परिवारवादी दल पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस के प्रमुख महबूबा मुफ्ती अनंतनाग से और फारूख अब्दुल्ला के बेटे उमर अब्दुल्ला बारामुला से चुनाव हार गए हैं। उमर अब्दुल्ला को हराने वाले इंजीनियर राशिद शेख ने जेल में रहकर चुनाव लड़ा और जीत भी गए। फिलहाल वे टेरर फंडिग मामले में तिहाड़ जेल में बंद है।
जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र की बहाली और महबूबा एवं उमर की हार ने तय कर दिया है कि नरेंद्र मोदी के परिवारवाद से मुक्ति के नारे ने घाटी में अपना काम कर दिया है। मुफ्ती को चुनाव में करारी शिकस्त नेकां के नेता मियां अल्ताफ अहमद ने दी है। अलताफ करीब ढाई लाख मतों से जीते हैं। दूसरी तरफ जम्मू-संवाद की दो सीटों उधमपुर और जम्मू पर भाजपा ने अपनी जीत दर्ज कराई है। उधमपुर लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार डाॅ जितेंद्र सिंह ने लगातार तीसरी बार जीत दर्ज कराई है। लद्दाख में आजाद उम्मीदवार मोहम्मद हनीफा जीते हैं। उन्होंने इस सीट पर कांग्रेस के सेरिंग नामग्याल और भाजपा के ताशा ग्यालसन को हरा दिया है। जम्मू संसदीय सीट से भाजपा उम्मीदवार जुगल किशोर शर्मा की जीत कांग्रेस के रमन भल्ला के मुकाबले में तय मानी जा रही है।
बहरहाल जम्मू-कष्मीर में लोकतंत्र की बहाली ने तय कर दिया है कि धारा-370 खत्म होने के बाद वहां की जनता सुकून महसूस कर रही है। पर्यटकों की बड़ी आमद ने भी घाटी में जनता की आर्थिक बद्हाली दूर करने का काम किया है। महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को हराकर जनता ने जता दिया है कि स्वतंत्रता के बाद से ही इन परिवारों ने जनता के साथ अच्छा नहीं किया। दो विधान, दो निषान और दो प्रधान को बनाए रखा। अपने हितों के लिए जम्मू-कष्मीर में विषेश दर्जे के विधानों की पैरवी करते रहे और स्थानीय जनता को भ्रम में रखकर सत्तारूढ़ भी बने रहे। अब जनता इनकी चालाकियों को समझ गई है, नतीजतन उसने इन दोनों परिवारों को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
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