पाकिस्तान में पूर्व सैनिक बनाए जा रहे हैं आतंकवादी

Posted On:- 2024-07-20




प्रमोद भार्गव

पड़ोसी षत्रु पाकिस्तान ने राजग की गठबंधन सरकार के बनने और विपक्ष के हुड़दंग के चलते एक बार फिर कष्मीर में आतंकवादी हमले तेज कर दिए हैं। धारा 370 के खात्मे के बाद घाटी के हालात में जबरदस्त सुधार देखते हुए पाकिस्तान ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। स्थानीय स्तर पर घाटी के मुस्लिम युवाओं ने आतंक की राह छोड़कर जब कैरियर बनाने की दिषा में पहल कर दी तो पाक की भारतीय सीमा में युवाओं को लालच देकर आतंकी बनाने की मंषा पर विराम लग गया। अतएव अब उसने अपने ही पूर्व सैनिकों को प्रलोभन देकर आतंकी बनाकर घुसपैठ करानी षुरू कर दी। नतीजतन भारतीय जमीन पर एक बार फिर से आतंकी घटनाओं का सिलसिला तेज हो गया। जम्मू-कष्मीर के डोडा जिले में आतंकियों के साथ मुठभेड़ में एक सेना के कप्तान समेत पांच जवान षहीद हो गए। सुरक्षाबल निरंतर आतंकियों को मार गिरा रहा है। बावजूद घुसपैठ का सिलसिला बना हुआ है, जो देष और सेना के लिए चिंता का सबब है। लगता है एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पाक की सीमा में घुसकर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम देना होगा।

सुरक्षा ऐजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक घाटी में करीब डेढ़ माह से जारी आतंकी हमलों में पाकिस्तानी सेना के पूर्व सैनिकों की लिप्ता के पुख्ता प्रमाण मिले हैं। ऐजेंसियां इसका यह भी मानकर चल रही हैं कि घाटी में भारी मतदान के बाद पाकिस्तान हताषा के दौर से गुजर रहा है। उसे आषंका है कि कहीं विधानसभा चुनाव के बाद जम्मू-कष्मीर प्रांत में लोकतंत्र की बहाली न हो जाए ? इसलिए वह घाटी में हमलों के जरिए माहौल खराब करके दहशत का वातावरण रचने में लगा है। अलगाववादी सुर का आलाप करने वाले मुफ्ती और अब्दुल्ला परिवार को मतदाता ने हराकर यह साबित कर दिया कि घाटी के हालात बदतर करने में इन परिवारों की भूमिका अहम् रही है। इससे पाक ने शायद अंदाजा लगाया है कि विधानसभा चुनाव के बाद घाटी में जो प्रजातांत्रिक सरकार बनेगी, वह पाक की मंशा के अनुरूप चलने वाली नहीं है। इसलिए माहौल खराब करके चुनाव को टला जाए। इस बीच पाक के धन से घाटी की तरह जम्मू क्षेत्र में आतंकियों की मदद करने वाले ओवर ग्राउंड कार्यकर्ताओं का एक नेटवर्क भी तैयार किया है। इसे सेना ध्वस्त करने में लगी है। डोडा किस्तवार, पुंछ, राजौरी, रियासी और कठुआ के कठिन भौगोलिक इलाकों में पिछले दो दषक में जैष-ए-मोहम्मद और लष्करे तैयबा ने ओवर ग्राउंड वार्कर नेटवर्क खड़ा किया था। यह अंततरराश्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा से आने वाले आतंकियों को घाटी के सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने का काम करता था। घाटी में रहने वाले ये वार्कर घने वनों और दुर्गम इलाकों में छोटे-छोटे घर बनाकर रह रहे हैं। रियासी जिले में हिंदू भक्तों की बस पर गोली चलाने वाले आतंकियों को इन्हीं ओवर ग्राउंड वर्कर ने मदद की थी। भारतीय सेना के अनुसार ओवर ग्राउंड वार्का वे लोग होते हैं, जो उग्रवादी या आतंकवादियों को रसद, नकदी, आश्रय और अन्य रहने लायक बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं। सेना इस नेटवर्क को नष्ट कर रही है।          

पाक सेना कितनी दगाबाज है, इसका खुलासा पाक के पूर्व लेफिटेंट जनरल एवं पाक खुफिया ऐजेंसी आईएसआई के पूर्व अधिकारी षाहिद अजीज ने ‘द नेषनल डेली’ में किया था। इसमें कहा गया था कि कारगिल युद्ध में पाक आतंकवादी नहीं,बल्कि उनकी वर्दी में पाकिस्तानी सेना के नियमित सैनिक ही लड़ रहे थे और इस लड़ाई का लक्ष्य सियाचिन पर कब्जा करना था। चूंकि यह लड़ाई बिना किसी योजना और अंतरराश्ट्र्रीय हालातों का अदांजा लगाए बिना लड़ी गई थी, इसलिए तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज मुर्षरफ ने पूरे मामले को रफादफा कर दिया था। क्योंकि यदि इस छद्म युद्ध की हकीकत सामने आ जाती तो मुशर्रफ को ही संधर्श के लिए जिम्मेदार ठहराया जाता। इससे यह तथ्य तो प्रमाणित होता है कि  पाकिस्तानी फौज इस्लामाबाद के पूरे नियंत्रण में नहीं है। आतंकी सरगना हाफिज सईद भारत-पाक सीमा पर खुलेआम घूम रहा है। जैश, लश्कर और हिजबुल के आतंकी दहशतगर्दी फैलाने में शरीक हैं।‘

इसी लेख में अजीज ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल में जनवरी 2014 में मेंढर क्षेत्र में भारतीय सैनिकों के सर कलम किए जाने की जो घटना घटी थी, उस परिप्रेक्ष्य में पाकिस्तान को चेताते हुए लिखा था, ’कारगिल की तरह हमने अब तक जो भी निरर्थक लड़ाइयां लड़ी हंै, उनसे हमने कोई सबक नहीं लिया है। सच्चाई यह है कि हमारे गलत कामों की कीमत हमारे बच्चे अपने खून से चुका रहे हैं। पाक इस समय जिस तरह आंतरिक और बाहरी विपदाओं से जूझ रहा है, उससे उसकी आर्थिक बद्हाली बढ़ रही है।’ यहां कठिन होते जा रहे हालातों का एक कारण यह भी है कि वहां के राश्ट्रपति, प्रधानमंत्री और सेनानयक पद पर रहते हुए भी धर्म के नाम पर लोगों को भड़काने व आतंकवाद को षह देने का काम करते हैं, लेकिन जब पदच्युत हो जाते हैं तो देष छोड़ जाते हैं। परवेज मुर्षरफ और नवाज षरीफ ने भी यही किया था। पाक में हालात ऐसे ही बने रहे तो एक दिन जनता सड़को पर होगी और सेना को मनमानी पर उतरने का मौका मिल जाएगा। सीमा पर बदतर हो रहे हालात और आतंकी घटनाओं के क्रम में वक्त आ गया है कि हम ईंट का जवाब पत्थर से दें। हमें सख्ती बरतने की जरूरत है। जरूरी नहीं कि यह सख्ती खून का बदला खून जैसी प्रतिहिंसा का रुख अपनाकर दिखाई जाए।

पाकिस्तान पूर्व सैनिकों को आतंकी बना रहा है। इसका सत्यापन इस तथ्य से भी होता है कि हाल ही में मारे में जिन आतंकियों से खतरनाक हथियार बरामद हुए हैं, उनका संचालन आसानी से सेना से प्रशिक्षित व्यक्ति ही कर सकता है। इन हथियारों में एम-4 कार्बाइन, 509 टैक्टिगल गन और एम-1911 और स्टेयर एयूजी रायफल बरामद हुई हैं। आतंकियों के पास से अल्ट्रा और माइक्रो रेडियो सेट भी बरामद हुए है। इनके नेटवर्क में सेंध लगाना आसान नहीं है। ये उपकरण भी अमेरिका द्वारा निर्मित हैं। अफगानिस्तान में नाटो सेनाओं ने इन हथियारों का इस्तेमाल किया था। अतएव ऐसी आषंका है कि अफगानिस्तान में अमेरिकी सेना द्वारा छोड़े गए हथियार अब जम्मू-कष्मीर में सक्रिय आतंकियों तक पहुंच रहे हैं। यदि यह तथ्य एक ठोस सच्चाई है तो कष्मीर में आतंकी हिंसा का दुश्चक्र बढ़ता दिखाई दे सकता है ? दरअसल ये हथियार पाकिस्तान के जरिए भी आतंकियों को मिल सकते है और सीधे अफगानिस्तान से भी लाए जा सकते हैं। भारतीय एजेंसियों को ऐसी सूचनाएं भी मिली हैं, कि इन्हें तालिबान सीधे आतंकियों को आर्थिक बदहाली दूर करने के लिए बेच भी रहा है। पिछले चार वर्ष से आतंकियों के पास स्टेयर एयूजी रायफल होने के सूचनाएं मिल रही थीं। अब कुपवाड़ा जिले के केरन सेक्टर में एलओसी पर 18 जुलाई 2024 को मुठभेड़ में सेना ने जो दो आतंकी मारे है, उनसे यह रायफलें बरामद हुई हैं। कष्मीर में बीते कुछ वर्शों में एक दर्जन से अधिक इरीडियम सैटेलाइट फोन और वाईफाई सक्षम थर्मल इमेजरी उपकरण भी मिले हैं। ये उपकरण रात के समय घुसपैठ करने और सुरक्षाबलों की घेराबंदी तोड़कर भाग जाने में मदद करते है।



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