कांग्रेस हार को स्वीकारती क्यों नहीं है....

Posted On:- 2024-10-09




सुनील दास

देश में बहुत सारे राजनीतिक दल हैं,सब चुनाव लड़ते हैं, जीतने के लिए चुनाव लड़ते हैं।कोई भी हारने के लिए चुनाव तो लड़ता नहीं है।जीत तो किसी एक की होती है। जनता तो किसी एक को ही जिताती है। एक जीता है मतलब है कि बाकी दल हारे हैं।जनता ने एक को सबसे बेहतर माना है यानी बाकी उसके लिए बेहतर नहीं है। बहुत सारे लोग चुनाव लड़ते हैं और हारते हैं मान लेते हैं कि हार गए हैं। चुनाव में तो हार-जीत होती रहती है, कोई जीतता है तो कोई हारता है।

मान लेते हैं उसने हमको हरा दिया, मान लेते हैं कि उसने हम सबको हरा दिया। उसने हमसे ज्यादा मेहनत की इसलिए जीत गया,दल की सरकार ने पांच साल अच्छा काम किया इसलिए जीत गया,उनका लीडर हमसे ज्यादा लोकप्रिय है इसलिए वह पार्टी जीत गई। उनका संगठन हमसे ज्यादा मजूबत था,इसलिए जीत गया। अपनी हार स्वीकारने का मतलब होता है कि जीतने वाले की जीत को स्वीकारना होता है,मानना पड़ता है कि वह हमसे बेहतर इसलिए जीता है।मानना प़ड़ता है कि हम उससे बेहतर काम नहीं कर पाए, जनता को प्रभावित नहीं कर पाए, हमारा नेता उसकी तुलना में कम लोकप्रिय है, उसकी तुलना मे हमारा नेता ने कम मेहनत की, इसलिए हार गए।

कई लोगों को यह स्वीकारने मे शर्म आती है कि वह उससे हार गए हैं जिसे सबसे ज्यादा अयोग्य बताते रहे हैं, जिसे हम तानाशाह बताते रहे हैं। जिसे हम लोकतंत्र विरोधी बताते रहे हैं, हम उससे हार गए जिसे हम संविधान विरोधी बताते रहे हैं। हम उससे हार गए जिसे हम अमीरों का मित्र बताते रहे हैं, हम उससे हार गए जिसे हम गरीबों का विरोधी बताते रहे हैं।जिसकी तरह तरह से आलोचना की जाती रही है,उसके जीतने का मतलब होता है कि उसके बारे में जो कुछ कहा जा रहा था, वह झूठ था, वह सच होता तो जनता उसे कैसे जिताती, जनता कैसे उसकी पार्टी को जिताती।

ऐसे में कुछ चुनाव हारने वाले वही करते हैं जो कांग्रेस, राहुल गांधी व उनके कुछ नेता करते हैं। जीतने वाले की जीत को ही संदिग्ध कर दो। इसके लिए चुनाव परिणाम आने के पहले ही कह दिया जाता है कि अगर निष्पक्ष चुनाव हुए तो भाजपा चुनाव नहीं जीत सकती। मालूम है कि हमको तो चुनाव हारना है। हम तो चुनाव जीत नहीं रहे हैं तो दूसरे की जीत पर सवालिया निशान लगा दो। हम तो हार ही नहीं सकते निष्पक्ष चुनाव होने पर, हम हारे है तो चुनाव निष्पक्ष नहीं हुए हैं।वह जीते हैं तो इसलिए नहीं कि वह हमसे बेहतर हैं, वह जीते हैं तो इसलिए कि चुनाव निष्पक्ष नहीं हुए हैं। चुनाव आयोग ने निष्पक्ष चुनाव नहीं कराया है।

कांग्रेस ने २४ के लोकसभा चुनाव में भी एनडीए की जीत पर यही कहा था और अब हरियाणा मे हारने पर भी वह वही कर रही है। भाजपा की ऐतिहासिक जीत पर ही सवालिया निशान लगा रही है कि भाजपा को चुनाव जिताने के लिए ईवीएम मेें गड़बड़ी की गई है। कांग्रेस जहां भी हारती है, वह चुनाव आयोग की निष्पक्षता व भाजपा की जीत पर सवाल उठाती है लेकिन उसकी बात पर कोई यकीन इसलिए नहीं करता है कि वह जब किसी राज्य में चुनाव हार जाती है तो जहां चुनाव हार जाती है,वहीं ऐसा आरोप लगाती है, जहां चुनाव जीत जाती है,वह चुनाव आयोग पर कोई आरोप नहीं लगाती है। तब चुनाव आयोग कांग्रेस के लिए निष्पक्ष हो जाता है। 

चुनाव आयोग अगर कांग्रेस को हराना ही चाहता है और भाजपा को जिताना चाहता है तो वह हर राज्य के चुनाव में ऐसा कर सकता है। वह ऐसा तो कर नहीं सकता कि कर्नाटक, तेलंगाना, हिमाचल में कांग्रेस को जिता दे और हरियाणा में हरा दे। हरियाणा में कांग्रेस चुनाव अपनी गलतियों, गुटबाजी के कारण हारी है, इसलिए वह यह तो कह नहीं सकती है कि हम अपनी गलतियों से हारे हैं।भाजपा हमसे बेहतर थी, इसलिए जीत गए, मोदी राहुल गांधी से बेहतर नेता है,इसलिए राहुल गांधी को वह हरा देते हैं, कांग्रेस को हरा देते हैं। 

ऐसा स्वीकारने पर तो लोग उसकी हंसी उड़ाएंगे।इसलिए कांग्रेस कहती है हम तो चुनाव आयोग की गलती के कारण हारे हैं।चुनाव आयोग के निष्पक्ष न होने के कारण हारे हैं।भाजपा हमसे बेहतर होने के कारण नही जीती है, भाजपा चुनाव आयोग के निष्पक्ष नही होने के कारण जीती है। मोदी चुनाव ज्यादा लोकप्रिय होने के कारण नहीं जीतते है, वह तो चुनाव आयोग के निष्पक्ष नहीं होने के कारण जीतते हैं। मोदी मैजिक के कारण कांग्रेस नहीं हारती है, चुनाव के निष्पक्ष नहीं होने के  कारण कांग्रेस हरा दी जाती है। पिछले लोकसभा चुनाव से कांग्रेस ने यह नया चलन शुरु किया है कि तीन बार चुनाव हार जाओ तो अपनी हार को नकार दो।भाजपा तीसरी बार लोकसभा चुनाव जीते या हरियाणा का चुनाव तीसरी बार जीते तो उसकी जीत को नकार दो। 

कांग्रेस नेता और राहुल गांधी ऐसा क्यों करते है। इसकी वजह यह है कि कांग्रेस नेता व गांधी परिवार पीएम मोदी से सबसे ज्यादा नफरत करता है।उन्हें यह स्वीकार करना बहुत बुरा लगता है कि पीएम मोदी उन्हें लगातार हरा सकते हैं, हरा रहे हैं. वह तो सपने में भी मोदी से नहीं हारना चाहते और मोदी आए दिन चुनाव में उनको हरा देते हैं। यह सच है कि हार तो हुई है, लेकिन कांग्रेस उसे स्वीकारती नहीं है क्योंकि स्वीकारने का मतलब है कि मोदी ने हमको हराया है। हम मानते हैं कि मोदी हमसे बेहतर नेता है। 

कांग्रेस का सबसे बड़ा सपना है, मोदी को हराने का। लेकिन यह सपना पूरा नहीं हो रहा है। सोेनिया गांधी सहित कांग्रेस नेता चाहते हैं कि राहुल गांधी एक बार लोकसभा चुनाव में मोदी को हरा दें लेकिन राहुल गांधी अब तक नहीं हरा सके हैं। मोदी अपराजेय हैं, यह बात गांधी परिवार को बहुत बुरी लगती है। इसलिए वह हर चुनाव अब यही नैरेटिव बनाता है कि मोदी अपराजेय नहीं है,वह जीतते हैं तो इसलिए कि चुनाव आयोग निष्पक्ष नहीं है। 



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