साय सरकार ने पिछली बार से ज्यादा धान खरीदा

Posted On:- 2025-02-04




सुनील दास

राजनीति में उस राजनीतिक दल व उस सरकार पर जनता भरोसा करती है जो वादा करती है, उसे पूरा करने का प्रयास करती है और निरंतर सफल रहती है।जनता को लगता है कि इस सरकार ने जो कहा था वाकई उसे पूरा किया है। साय सरकार ने किसानों से कहा था कि इस बार पिछली बार से ज्यादा धान खरीदा जाएगा और उसने ऐसा कर दिखाया है। उसने किसानों से पिछली बार से ज्यादा धान खरीदा है।राज्य सरकार हर बार धान खरीदी के लिए किसानोंं का पंजीयन करती है,हर बार ज्यादा किसान पंजीयन कराते हैं,इसलिए हर बार सरकार भी किसानों से ज्यादा धान खरीदने का लक्ष्य तय करती है यानी सरकार ने पिछली बार जितना धान खरीदा था, उससे ज्यादा धान खरीदी का लक्ष्य तय करती है।

यह लक्ष्य होता है कि इतना धान सरकार खरीद सकती है।इसका मतलब यह नहीं होता है कि इतना धान सरकार अनिवार्य रूप से खरीदेगी। इसके लिए सरकार किसानों को एक तय समय देती है जैसे इस बार साय सरकार ने किसानों को धान बेचने के लिए १४ नवंबर से ३१ जनवरी तक का समय दिया था। यानी सरकार किसानों को दो माह से ज्यादा समय दिया था। इसके लिए जरूरी व्यवस्था की थी ताकि वह अपना धान सुविधा से बेच सकें। पिछली बार साय सरकार ने किसानों से १४५ लाख मी.टन धान की खरीदी की थी, इस बार सरकार ने लक्ष्य तो १६० लाख मी.टन धान खरीदने का तय किया था लेकिन इस बार लक्ष्य से कम लेकिन पिछली बार से ज्यादा यानी १४९ मी.लाख टन से ज्यादा खरीदी हुई है।

य़ह अब तक की सबसे ज्यादा धान खरीदी है। साय सरकार ने इस बार सबसे ज्यादा धान खरीदी का नया रिकार्ड बनाया है। इस बार २७ लाख किसानों ने धान बेचने के लिए पंजीयन कराया था उसमें से २५ लाख से ज्यादा किसानों ने अपना धान बेचा। जिन पंजीकृत किसानो ने धान बेचा है, उनको समर्थन मूल्य के हिसाब से ३२ हजार करोड़ रुपए का भुगतान कर दिया गया है.शेष अंतर की राशि का भुगतान साय सरकार फरवरी में करने का वादा किया है।अभी नगर निकाय व पंचायत चुनाव फरवरी में कराए जा रहे हैं। ऐसे में चुनाव में साय सरकार को धान की अंतर की राशि का भुगतान किसानों को करने का राजनीतिक फायदा हो सकता है, यह कितना होगा भले न कहा जा सके लेकिन किसानों के हाथ में पैसा आएगा तो किसान हितैषी भाजपा के पक्ष में वोट तो कर ही सकते हैं कि उसने जैसा कहा था वैसा किया।

एक तरफ तो साय सरकार ने किसानों का भरोसा फिर जीत लिया ज्यादा धान खरीद कर तथा ज्यादा पैसा देकर। दूसरी तरफ विपक्ष यानी कांग्रेस को फिर झूठा साबित कर दिया है। जब धान खरीदी शुरू हुई थी तो कांग्रेस ने कहा था कि सरकार किसानों का धान खरीदना नहीं चाहती है, इसलिए धीमी गति से धान की खरीदी की जा रही है। सरकार किसानों का धान खरीदना नहीं चाहती है, इसलिए धान खरीदी केद्रों में अव्यवस्था है।सरकार धान जितने दिन धान खरीदने के लिए तय किए है, उतने दिन में धान की खरीदी नहीं हो सकती। यह सच है कि साय सरकार ने इस बार जितना लक्ष्य था, उतना धान नहीं खरीदा है लेकिन यह भी सच है कि उसने पिछली बार से औऱ भूपेश सरकार अपने समय मे जितना धान खरीदा था उससे तो ज्यादा धान खरीदा है। उससे ज्यादा पैसों में खरीदा है।

फिर भी साय सरकार को धान खरीदी में असफल बताने के लिए कांग्रेस तो यह कहती रही है कि सरकार ने किसानों को एकमुश्त पैसा नहीं दिया। सरकार ने जितना धान खरीदने को कहा था उतना धान नहीं खरीदा है। वह तो सरकार को किसान विरोधी बताने के लिए जरूर कहेगी कि सरकार ने धान खरीदी की अच्छी व्यवस्था नहीं की थी इसलिए दो लाख किसान अपना धान नहीं बेच पाए।कांग्रेस कुछ भी कहे यह सच है कि सरकार ने इस बार पिछली बार से ज्यादा अच्छी धान खरीदी की व्यवस्था की तब ही ज्यादा किसान ज्यादा धान बेच पाए हैं। सरकार पिछली बार से ज्यादा धान खरीद पाई है।



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