महंत ने कुछ कहा है तो यूं ही नहीं कह दिया है

Posted On:- 2025-02-05




सुनील दास

राजनीति में जब कुछ कहा जाता है, किसी बड़े नेता द्वारा कहा जाता है तो वह यूं ही नहीं कह दिया जाता है, उसका कोई मकसद होता है, कोई संदेश देना होता है कि राज्य की राजनीति बदलने वाली है। राज्य का बड़ा नेता बदलने वाला है। उसकी जगह दूसरा बड़ा नेता आने वाला है। जिसकी राज्य में अब तक चलती थी, उसकी अब नहीं चलने वाली है।नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत राज्य के बड़े कांग्रेस नेताओं में से एक हैं।सीनियर नेताओं में से एक हैं, वह कुछ खास कहते हैं तो यूं ही नहीं कह देते हैं।उन्होंने कुछ खास कहा है तो यूं नहीं कह दिया है, उन्होंने कहा है कि कुछ सोचसमझ कर कहा है। ऊपर से कोई संकेत मिला है तो कहा है।

महंत ने कहा है कि राज्य में अगला विधानसभा चुनाव टीएस सिंहदेव के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।इसका मतलब तो यही निकाला जा सकता है और यही निकाला जा रहा है कि राज्य में विधानसभा का अगला चुनाव कम से कम भूपेश बघेल के नेतृत्व में तो नहीं लड़ा जाएगा। इसका मतलब तो यही निकाला जा सकता है कि भूपेश बघेल अब राज्य के सबसे बड़े नेता नहीं रहे, मतलब अब तक उनकी मर्जी से ही राज्य में सबकुछ होता था, लेकिन अब उनकी मर्जी से राज्य में सब कुछ नहीं होगा क्योंकि अध्यक्ष के तौर पर भूपेश बघेल जितने सफल रहे, सीएम के रूप में उतने सफल नहीं रहे।

उनको कांग्रेस को दोबारा राज्य में चुनाव जिताना था और यह सबसे अहम काम वह नहीं कर सके।राज्य में कांग्रेस को दोबारा चुनाव जिताने के लिए ही उनको पूरी छूट दी गई थी,लेकिन पूरी छूट के बाद भी भूपेश बघेल वह करिश्मा नहीं कर सके जिसकी अपेक्षा आलाकमान कर रहा था।नेता तो वही माना जाता है जो करिश्मा कर सकता है। एक बार नहीं बार बार कर सकता है। भूपेश बघेल ने एक बार करिश्मा किया लेकिन बार बार नहीं कर सके, दो बार नहीं कर सके। जो बार बार करिश्मा नहीं कर सकता है, उसे असफल नेता मान लिया जाता है।

महंत के कहने का मतलब यह भी हो सकता है कि आलाकमान राज्य में अब बदलाव चाहता है, वह चाहता है कि भूपेश बघेल की जगह राज्य में कांग्रेस का नेतृत्व कोई और नेता करे जो कांग्रेस को अगले चुनाव में जिताने का करिश्मा कर सके।राज्य में डिप्टी सीएम रहे टीएस सिंहदेव स्वाभाविक रूप से ऐसे नेता माने जा सकते हैं क्योंकि जब राज्य में कांग्रेस जीती थी, उसकी जीत में भूपेश बघेल के साथ ही सिंहदेव की भूमिका भी अहम थी।तब कहा जाता था कि कांग्रेस को जिताने में जय-वीरू की अहम भूमिका रही थी। दोनों ने मिलकर कांग्रेस को चुनाव जिताया था।दोनों ने मिलकर कांग्रेस को चुनाव जिताने का करिश्मा किया था।कांग्रेस की जीत तब करिश्मा ही थी क्योंकि रमन सिंह के नेतृत्व में भाजपा तीन चुनाव जीत चुकी थी और कांग्रेस तीन चुनाव हार चुकी थी। तीन चुनाव हारने के बाद कांग्रेस जीती थी तो यह जीत करिश्मा ही मानी गई,छत्तीसगढ़ की राजनीति के इतिहास में इसे करिश्मा के रूप में ही याद किया जाएगा।

साथ ही भूपेश बघेल के नेतृत्व में दूसरे चुनाव  में हार को करिश्मा के रूप याद किया जाएगा क्योंकि कांग्रेस तो चुनाव जीतते जीतते हार गई थी, यही चरण दास महंत ने तब कहा था कि हमको तो यकीन नहीं आ रहा है कि कांग्रेस हार गई है। राजनीति में हार सबसे बड़ी असफलता होती है,उसके बाद नेता को कोई और मौका नहीं दिया जाता है,मान लिया जाता है कि इसे जितना मौका दिया गया, वह बहुत है अब मौका देने का जरूरत नहीं है।रमन सिंह चौथा चुनाव हारे तो उनको भी भाजपा ने पांचवां मौका कहां दिया। नए नेता को माैका दिया गया और नेतृत्व बदलने पर भाजपा को वह जीत मिली जो वह चाह रही थी।तो कभी कभी जीत के लिए नेता को बदलना भी पड़ता है।

आलाकमान तो जीत चाहता है, वह नेता बदलने से मिलती है तो वह नेता भी बदलता है, भूपेश बघेल को किसी की जगह लाया था तो भूपेश बघेल की जगह भी किसी को लाया जा सकता है। वह टीएस सिंहदेव है तो यह अच्छा चुनाव कहा जा सकता है क्योंकि राज्य की कांग्रेस की राजनीति में भूपेश बघेल का विकल्प टीएस सिंहदेव ही माने जाते रहे हैं। बताया जाता है कि आलाकमान तो चाहता था कि टीएस सिंहदेव भी ढाई साल के लिए सीएम बने लेकिन भूपेश बघेल ने उनको बनने नहीं दिया क्योंकि वह खुद पांच साल सीएम बने रहना चाहते थे।माना जाता है कि भूपेश बघेल आलाकमान को आश्वस्त करने में सफल रहे कि वह उनसे जो कुछ चाहते हैं वह करेंगे।भूपेश बघेल जब तक सीएम रहे तब तक वह सब किया जो आलाकमान उनसे चाहता था, पार्टी उनसे चाहती थी।

वह सिर्फ एक काम नहीं कर सके कांग्रेस को दूसरी बात जिताने का।इस असफलता से उनका राजनीतिक कद कम हुआ है और उनकी जगह दूसरे नेता काे मौका देने की बात भी होने लगी है। टीएस सिंहदेव सौम्य व शालीन नेता है,उन्होंने नेता प्रतिपक्ष महंत के बयान के बाद पैदा हुई स्थिति को  भांपकर कांग्रेस में गुटबाजी न बढ़े, यह कहा है कि महंत ने कहा है कि सरगुजा से बाबा,बस्तर से बैज,मंहत अपने क्षेत्र में कांग्रेस का नेतृत्व करेंगे यानी कांग्रेस सामूहिक नेतृत्व में अगला चुनाव लड़ेगी। टीएस सिंहदेव ने यहां भूपेश बघेल का नाम नहीं लिया। फिर भी उनका जोर सामूहिक नेतृत्व पर है तो इसलिए कि वह नहीं चाहते हैं कि अभी से कांग्रेस में गुटबाजी शुरू हो जाए। वैसे भी महंत के बयान पर भूपेश बघेल की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। भूपेश बघेल राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं, वह समझ रहे होंगे कि महंत ने कहा है तो इसका मतलब क्या है, उनका बयान सामने आने के बाद ही यह साफ हो सकेगा कि वह इस बयान का क्या मतलब निकालते हैं।

भूपेश बघेल को आलाकमान ने दिल्ली की राजनीति में पहले भी लाने का प्रयास किया था लेकिन भूपेश बघेल राज्य में रहने को इच्छुक रहे हैं,लोकसभा चुनाव के वक्त उनको सासंद का चुनाव लड़ने को कहा गया था तो भी उन्होंने यही इच्छा जताई थी लेकिन दबाव में उनको लोकसभा का चुनाव लड़ना पड़ा था।वह चुनाव हार गए और राज्य की राजनीति में बने हुए हैं।भूपेश बघेल कांग्रेस के बड़े नेता हैं,आलाकमान उनका कैसा उपयोग करना चाहता है, यह अभी साफ नहीं हुआ है। हो सकता है कि आनेवाले दिनों में यह साफ हो जाए। 



Related News
thumb

छापे में पैसा मिला तो क्या होता है....

राजनीति में किसी को सरकार में बड़ी या सबसे बड़ी पोस्ट मिल जाती है और वह चाहे कि उसके पास पैसा आना चाहिए तो उसके पास बाढ़ के पानी की तरह पैसा आता है...


thumb

छापा पड़ने से भी तो सवाल पैदा होते हैं....

.राजनीति में सभी दलों के नेता चाहते हैं कि जनता के बीच उनकी छवि ईमानदार व काम करने वाले नेता की बनी रहनी चाहिए।


thumb

चीन को डर है वह अकेला न हो जाए

विश्व राजनीति में कोई भी देश किसी के साथ हमेशा नहीं रहता है। विश्व के बड़े देशों के राजनीतिक,आर्थिक समीकरण बदलते रहते हैं।


thumb

कांग्रेस को मालूम था कि वह चुनाव हारेगी

कांग्रेस के बुरे दिन चल रहे हैं।हर लेबल का चुनाव हार रही है और हारती जा रही है। इसके लिए वह खुद दोषी है लेकिन वह मानती नहींं है।लोकसभा चुनाव, विधान...


thumb

इससे तो सरकार,पार्टी की छवि खराब हो रही है

सरकार सुशासन की बात करती है तो राज्य में निचले स्तर पर सुशासन है ऐसा दिखना भी तो चाहिए। विधानसभा के भीतर व बाहर कई ऐसी घटनाएं होती हैं जिससे सरकार ...


thumb

जो देश चाहता था वही किया हमारे खिलाड़ियों ने

कई बार ऐसा होता है कि देश जैसा चाहता है हमारे खिलाड़ी वैसा नहीं कर पाते हैं, देश के लोगों को इससे बड़ी निराशा होती है। देश के लोगों में बहुत गुस्सा...