ऐसे आपरेशन से ही खौफ बना रहेगा

Posted On:- 2025-02-10




सुनील दास

नक्सली हों, उग्रवादी हों या आतंकवादी हों उनको समाप्त करने के लिए जरूरी होता है कि वह कुछ करें इससे पहले उन पर हमला कर उनको मार दिया जाए।वह कुछ करने की सोचें इससे पहले उनकी योजना को फेल कर दिया जाए। उनके सुरक्षित इलाके में घुसकर उनको घेरकर मारा जाए ताकि वह भाग भी न सकें। जब निरंतर ऐसी कार्रवाई की जाती है तो नक्सलियों से लेकर आतंकवादियों तक में मारे जाने का खौफ पैदा होता है और निरंतर सुरक्षा बलों के हमले से यह खौफ कम नहीं हो पाता है और बढ़ता जाता है,खौफ बढ़ने पर ही नक्सली कुछ करने से डरते हैं, सरेंडर करते हैं।बस्तर से नक्सलवाद के खात्मे के लिए जरूरी है कि नक्सलियों पर बड़े हमले किए जाएं ताकि ब़ड़ी संख्या में नक्सली सरेंडर भी करें। निरंतर ऐसा करने पर ही नक्सली कमजोर होंगे और बस्तर से उनका सफाया संभव हो सकेगा।

सरकार की यह नीति सफल हो रही है।इससे नक्सलियों के सफाए की उम्मीद भी बढ़ रही है।जैसे ही कोई बड़ा आपरेशन होता है तो इससे नक्सलियों को बड़ा नुकसान भी होता है।उनका मनोबल टूटता है, वह जवाबी कार्रवाई नहीं कर पाते है, वह नई भर्ती नहीं कर पाते हैं। वह अपने सुरक्षित स्थानों में भी सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं।वह बचने के लिए नए ठिकाने ढूंढने लगते हैं तो इससे साफ हो जाता है कि वह कमजोर हो रहे हैं, अपने को बचाने का प्रयास कर रहे हैं।जब भी नक्सली अपने को बचाने का प्रयास करते हैं तो सीमा की तरफ भागते हैं यही सही मौका होता है नक्सलियों के सफाए का क्योंक डरे हुए नक्सली मजबूती से मुकाबला नहीं कर पाते हैं क्योंकि अब बस्तर में सुरक्षा बलों के जवानों की संख्या बहुत ज्यादा हो गई है, जब भी सुरक्षाबल के जवान उनको घेरते हैं तो नक्सली संख्या में कम होते हैं और वह मारे जाते हैं।सुरक्षा बल के जवान संख्या में ज्यादा होते हैं और वह बड़ी संख्या में नक्सलियों को मारने में सफल होते हैं।

अमित शाह की यह संख्या बल में ज्यादा रहने की रणनीति का कमाल है कि वही बस्तर है, वही नक्सली हैं लेकिन अब नक्सली भाग रहे हैं, बचाव की मुद्रा में है। लेकिन संख्या बल में कम होने के कारण मारे जा रहे हैं, इससे उनकी संख्या निरंतर कम होती जा रही है, हर जगह सुरक्षा बलों की पहुंच होने और हमला करने के कारण नक्सली नई भर्ती नहीं कर पा रहे हैं, ट्रेनिंग नहीं दे पा रहे हैं। ओडिशा, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र आदि राज्यों में भी भाजपा की सरकार होने से उनके लिए इन राज्यों में भागना भी संभव नहीं रह गया है। सभी सरकारें उनके सफाए मे लगी होने के कारण नक्सलियों के कहीं भागकर जान बचाना संभव नहीं रह गया है।उनके लिए छत्तीसगढ़ सहित किसी राज्य में पहले की तरह कोई सेफ जाेन नहीं रह गया है और जो सेफ जोन समझा जाता रहा है वहां सुरक्षा बलों के बेखौफ होकर आपरेशन चलाने से नक्सलियों के सामने सुरक्षा बलों से अपनी जान बचाना मुश्किल हो गया है। 

बीजापुर जिले का इंद्रावती टाइगर रिजर्व नक्सलियों का ऐसा ही सेफ जोन था। एक समय़ था जब इस इलाके में पुलिस व सुरक्षा बल जाने से डरते थे, माना जाता था ऐसे सेफ जोन में जाने का मतलब मौत को दावत देना है लेकिन अमित शाह ने जब से नक्सलियों के सफाए की ठान ली है तो सुरक्षा बल बुलंद हौसलों के साथ हजार से डेढ़ हजार की संख्या में जाकर नक्सलियों को सफलतापूर्वक मार रहे हैं यानी नक्सलियों को पहली बार उनके घर में घुसकर मारा जा रहा है।इस बार नक्सलियों के सेफ जोन में सुरक्षा बलों ने घुसकर ३१ नक्सलियों का मार गिराया है। यह इस साल का सबसे बडा आपरेशन है।इस आपरेशन को इस तरह अंजाम दिया गया कि नक्सलियों के पास भागने का कोई मौका नहीं था। सुरक्षा बल के जवान बड़ी संख्या में नक्सलियों काे इसलिए भी मा्र पा रहे हैं कि नक्सली पहले की तरह एक तरफ से भाग नहीं पा रहे है।जवानों के घेरे में फंस कर मारे जा रहे हैं। पहले नक्सली जब बस्तर में संख्या में ज्यादा थे तो वह भी ऐसा ही करते थे, संख्या में ज्यादा होने के कारण वह सुरक्षा बलों के जवानों को घेर कर मारने में सफल हो जाते थे। अब पांसा पलट गया है और संख्या में कम नक्सलियों को सुरक्षा बल इसी रणनीति को अपना कर मार रहे है।

अमित शाह से पहले कोई सोच नहीं सका था कि नक्सलियों के सफाए के लिए जरूरी है कि बस्तर में जितने नक्सली हैं,उससे ज्यादा सुरक्षा बल के जवान होने चाहिए तब ही नक्सलियों का सफाया हो सकता है। आज बस्तर में जितने नक्सली हैं, उससे ज्यादा सुरक्षाबलों के जवान है, बस्तर से नक्सलियों के सफाए के लिए सुरक्षा बलों की संख्या बढ़ाई जा रही है,कैंपों की संख्या बढ़ाई जा रही है।आने वाले दिनों में बस्तर में ऐसा कोई क्षेत्र नहीं होगा जहां सुरक्षा बलों का कैंप नहीं होगा। ऐसी कोई जगह नही होगी जहां जाकर सुरक्षा बल नक्सलियों का सफाया न कर सके।जब भी सुरक्षा बल कोई बड़ा आपरेशन कर बड़ी संख्या में नक्सलियों का मार कर लौटते हैं तो अमित शाह यह कहकर सुरक्षा बलों के जवानों को याद दिलाते हैं, इसी तरह वह नक्सलियों का सफाया करते रहे तो ३१ मार्च २०२६ तक नक्सलियों का सफाया कोई मुश्किल काम नहीं है।वह जवानों को हमेशा लक्ष्य की याद दिलाते रहते हैं और जवान उस लक्ष्य को पाने के लिए उत्साह से काम करते रहते हैं।



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