आज महात्मा गांधी होते तो वह क्या करते...

Posted On:- 2024-10-02




सुनील दास

दो अक्टूबर को महात्मा गांधी को इस देश में याद किया जाता है।महात्मा गांधी अब इस देश में याद करने के लिए ही हैं। उनकी सत्य व अहिंसा का आचरण अब बातें करने के लिए हैं।अब लोग कल्पना करते हैं तो आज विश्व में कई देशों के बीच तनाव, हमले के दौर में महात्मा गांधी होते तो क्या करते, क्या कहते। आज देश में होने वाली हिंसा,अपराध, भ्रष्टाचार के ब़ढऩे पर क्या कहते।उनको बड़ा अफसोस होता जब वह देखते कि विश्व के देश के नेता एक दूसरे से नफरत करते हैं और उसका खामियाजा वहां के लोगों को भुगतना पड़ रहा है।

वह भी वही करते जो आज पीएम मोदी कर रहे हैं। पीएम मोदी विश्व में अकेले ऐसा नेता हैं जो युध्दरत देशों की यात्रा करते हैं और उनको समझाने का प्रयास करते हैं कि यह युध्द का समय नहीं है,विश्व की बेहतरी के लिए शांति की जरूरत है।पीएम मोदी की विदेश नीति गांधीवाद पर आधारित है कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। क्योंकि किसी भी देश व विश्व में शांति के लिए अहिंसा की नीति ज्यादा जरूरी यानी कोई भी समस्या हो चाहे व देशों के बीच हो या दो वर्गों के बीच हो, उसका समाधान आपसी बातचीत से किया जा सकता है। 

जब किसी भी समस्या का समाधान आपसी बातचीत से निकल सकता है तो उसके लिए युध्द करना जरूरी नहीं है क्योंकि युध्द से अब दो देशों को ही नुकसान नहीं होता है, दो देश के लोग ही प्रभावित नहीं होते हैं, विश्व के सभी देश कहीं भी युध्द होता है तो प्रभावित होते हैं,सभी देशों को नुकसान भी होता है।विश्व युध्द करने वाले देशों को लेकर दो भागाें में बंट जाता है।

जब भी ऐसा होता है तो विश्व युद्ध की आशंका बढ़ जाती है। दो विश्व युध्द का अनुभव है देशों को,उससे सबक लेकर जब भी कहीं युध्द हो तो उसे फैलने से रोकने के साथ ही उसे रोकने का प्रयास भी किया जाना चाहिए। यही पीएम मोदी पिछले कई बरसों से कर रहे हैं। पीएम मोदी इसी वजह से रूस गए, यूक्रेन गए। वह इजराइल गए और फिलस्तीन भी गए। वह तो चाहते हैं कि जो युध्द हो रहा है, वह रोक दिया जाए, जो भी समस्या है उसे टेबल पर बैठकर हल करने का प्रयास तो किया जाए। 

इस काम में आतंकवादी समूह और हथियारों के बड़े व्यापारी देश सबसे बड़ी बाधा हैं।कई देशों की तरफ से अपने स्वार्थ के लिए और दूसरे देशों में अशांति के लिए इन आतंकवादी समूहों को उपयोग किया जा रहा है।मध्य पूर्व में अशांति व युध्द जैसे हालात के लिए यही आतंकवादी समूह दोषी हैं। आतंकवादी समूहों को पालने वाले देश दोषी है।पीएम मोदी जानते हैं कि आतंकवादी समूह  किसी देश ही नहीं विश्व की शांति के लिए खतरा हैं, इसलिए वह हमेशा आतंकवाद के खिलाफ खड़े रहे हैं। हमेशा उसका विरोध करते रहे हैं। भारत के भीतरी क्षेत्र में तो उन्होंने आतंकवाद का सफाया कर दिया है, जम्मू व मणिपुर में हो तो वह प्रायोजित है।

वह तो चाहते हैं कि विश्व में आतंकवाद के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए लेकिन कई देश ऐसा चाहें तब तो ऐसा हो। ईरान जैसा देश तो आतंकवादी समूह के चीफ की हत्या का बदला लेने इजरायल पर १८१ मिसाइल दाग रहा है तो समझा जा सकता है कि आतंकवाद अब विश्व के देशों के लिए कितनी गंभीर समस्या हो गया है। अब आतंकवादी समूह को मारने व बचाने के नाम पर ईरान व इजरायल के बीच युध्द के आसार बन रहे हैं।यानी विश्व में युध्द का दायरा जो अब तक रूस-यूक्रेन,फिलस्तीन-इजराइल तक था, अब उसका विस्तार मध्य पूर्व में हो सकता है। 

यह शांति चाहने वाले नेताओं के लिए चिंता की बात है तो हथियारों का व्यापार करने वाले देशों के लिए तो हथियार बनाकर बेचने और पैसा कमाने का मौका है। जितने ज्यादा देशों में तनाव होगा, देशों के बीच लड़ाई होगी तो हर देश को अपनी सुरक्षा की चिंता बढ़ेगी तो वह वही करेगा जो हथियार बनाकर बेचने वाले देश चाहते हैं यानी ज्यादा से ज्यादा देश आधुनिक व महाविनाशक हथियारों की खरीदी करें।

जब भी विश्व के देशों में शांति होती है तो कट्टरपंथी ताकतों व हथियारों के सौदागर देशों को यह अच्छा नहीं लगता है। वह ऐसा कुछ करते हैं कि दो देशों के बीच युध्द शुरू हो जाता है। रूस-यूक्रेन युद्ध नहीं होता यदि रूस को नाराज नहीं किया गया होता, इजराइल पर आतंकवादी समूह हमास ने हमला नहीं किया गया होता तो आज मध्यपूर्व देशों में शांति होती। 

आज महात्मा गांधी नहीं है,लेकिन उनके अहिंसा का मार्ग आज भी प्रासंगिक है।पीएम मोदी इसी मार्ग पर चल रहे हैं तथा सबका साथ,सबका विकास,सबका विश्वास, सबका प्रयास के मूलमंत्र पर देश के भीतर काम कर रहे है और देश के बाहर भी काम कर रहे हैं। महात्मा गांधी भी तो यही चाहते थे कि सबके साथ सबका विकास हो,सबके विकास के लिए सब प्रयास करें। सब एक दूसरे पर विश्वास करें। यही काम पीएम मोदी पूरे देश व विश्व को परिवार मानकर कर रहे हैं।



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