संसद में जैसा कहोगे, वैसा सुनना भी पड़ेगा...

Posted On:- 2024-07-03




सुनील दास

संसद में अगर आपको पहले कहने का मौका मिला है तो यह मत सोचो कि मैं किसी को भी कुछ भी कह सकता हूंं, संसद में पहले बोलने का मौका मिला है तो कोशिश यह होनी चाहिए कि सोच समझ कर बोला और सच ही बोला जाए, प्रमाण हो तो बोला जाए।अचछा बोला जाए तोकि जब सुसने का मौका आए तो अच्छा सुनने को मिले।

राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष के रूप में पहले बोलने का मौका मिला तो वह भूल गए कि नेता प्ररतिपक्ष का पद एक संवैधानिक पद है, उनको जो बोलना है सोच समझ कर बोलना है, सच बोलना है प्रमाण हो तो बोलना है। वह यह भी भूल गए कि वह सड़क नहीं संसद में बोल रहे हैं। अगर वह गलत कहेंगे तो वह संसद के रिकार्ड से हटा दिया जाएगा। किसी भी संसद सदस्य या नेता प्रतिपक्ष के लिए यह अपमानजनक माना जाता है कि उसने जो कुछ कहा उसमें कुछ हटा दिया गया। राहुल गांधी संसद में जोश में होश खोकर बहुत कुछ ऐसा बोल गए जो बाद में हटा दिया गया।जब हटा दिया गया तो राहुल गांधी को एहसास हुआ कि उनसे गलती हुई है लेकिन उन्होंने इस बात को स्वीकारा नहीं कि उन्होंंने कुछ गलत कहा है।

राहुल गांधी या किसी भी संसद सदस्य के यह कहने का कोई फर्क नहीं पड़ता है कि उसने संसद में सच कहा है,संसंद के रिकार्ड से कुछ हटा दिया गया है इसका मतलब ही यह होता है कि जो कुछ कहा गया वह गलत था इसिलए हटा दिया गया है।

यह तो राहुल गांधी के लिए ठीक नही हुआ क्योंकि नेता प्रतिपक्ष के रूप में उऩ्होंने पहली बार कहा  और उसमें से कुछ बाते हटा दी गई,यह तो साबित हो गया कि राहुल गांधी ने पहली बार कुछ कहा और सोचसमझ कर नहीं कहा। राहुल गाधी कहते वक्त यह भी भूल गए कि जैसा उन्होंनें कहा है, वैसा सुनना भी पड़ेगा और वह नेता प्रतिपक्ष है और उनको सदन में बैठे रहना पड़ेगा। यही मंगलवार को हुआ।

पीए मोदी दो घंटे से ज्यादा लोकसभा में बोले और राहुल गांधी को वह सब सुनना पड़ा। पीएम मोदी जब संसद में बोलते हैं तो पूरी तैयारी करके आते हैं, उनको नेता प्रतिपक्ष व विपक्ष के नेताओं की बातों का जवाब देता रहता है और वह ऐसा जवाब देते हैं कि सुनने वालो को आनंद आ जाता है। वही विपक्ष को बहुत बुरा लगता है क्योंकि पीएम मोदी किसी की बात का जवाब देते हैं तो उसमें कटाक्ष रहता है, व्यंग्य रहता है, तीखा मजाक रहता है। वह किसी का अपमान नहीं करते हैं। वह मजाक मजाक में ऐसी बात बोल जाते हैं कि वह सुनने वाले को ज्यादा अपमान लगता है।

उन्होंने किसी का नाम लिए बगैर कांग्रेस की फर्जी जीत, कांग्रेस व इको सिस्टम के राहुल गांधी को विजेता बताने की कोशिश, राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष के रूप मे किए गए व्यवहार सब पर किस्से सुनाकर कर संसद और बाहर लोगों को लोटपोट कर दिया। राहुल गांधी व कांग्रेस की तीसरी हार पर उनका सुनाय गया किस्सा खूब चर्चित रहा।

एक छाब सबको मिठाई बांट रहा धा कि उसके 99 अंक आए हैं, सब यह जानकर उसको खूब बधाई देते। इसी दौरान उसका टीचर आता है और पूछता है कि किस  खुशी में मिठाैई बांट रहे हो तो बताया जाता है कि छात्र को परीक्षा में 99 अंक मिले है  तो टीचर लोगों को बताता है कि इस बच्चे को 100 मेंं 99 नहीं मिले है, इसे तो 543 में 99,९ मिले हैं तो सब समझ जाते हैं कि उनको ठगा जा रहा था। उन्होंने राहुल गांधी का नाम लिए बगैर कहा कि आपने तो फेल होने का विश्व रिकार्ड बना दिया है।

चुनाव में पार्टी को बहुमत दिलाना तुम्हारे बस की बात नहीं है, इसी ओर संकेत करते हुए कि यह तुमसे न हो पाएगा। यह सच भी है कि राहुल गांधी को मोदी को हराने का तीन बार मौका मिला है, वह अपनी पार्टी को अब तक जिता नहीं पाए हैं। शोलो फिलम की मौसी वाले सीन को याद कर उन्होंने देश के लोगों को याद दिलाया कि कांग्रेस नेता उस सीन की तरह ही कहते है कि मौसी हमारी हार भी तो हमारी हार नहीं है, यह तो हमारी मोरल विक्ट्री है। मौसी हार गए तो क्या हुआ यह तो हमारी मात्र तीसरी हार है।

यही नहीं उन्होंने राहुल गांधी के कांग्रेस नेता से लोकर नेता प्रतिपक्ष बनने तक के सफर को यह कहकर रेखांंकित किया कि पहले भी बालक बुध्दि थी और आज बी बालक बुध्दि है। एक तरह से देखा जाए तो कांग्रेस ने राहुल गांधी की जो छबि भारत जोड़ों यात्रा, चुनाव में 99 सीट जिताने वाले विजयी नेता व गंभीर नेता प्रतिपक्ष की जो छवि बनाई थी। उसे संसद में पीएम मोदी ने बालक बुध्दि कहकर बता दिया कि राहुल गांधी को नेता प्रतिपक्ष बना देने  पर भी वह बदलने वाले नहीं है, वह रहेंगे तो राहुल गांधी ही।



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