राजनीति में जिसका कद बढ़ता रहता है, उसका महत्व बढ़ता है, जनता में उसकी साख बढ़ती है, जनता का उस पर भरोसा बढ़ता है। जो सत्ता में हैं, वह दूसरी बार सत्ता में लोटता है तो उसका कद बढ़ता है, माना जाता है जनता इसे पसंद करती है,इसने अच्छा काम किया है, इसलिए जनता ने इस पर दोबारा भरोसा किया है। ऐसे कई सीएम मिल जाएंगे जिस पर जनता ने दोबारा भरोसा किया है, लेकिन जब बात पीएम पद की आती है तो दोबारा पीएम बनना मुश्किल होता है, तीसरा बार पीेएम बनना और भी मुश्किल माना जाता है।
विश्व के कई देशों में तो हर चुनाव में पीएम, राष्ट्रपति बदल जाते हैं.जनता उन्हें पद से हटा देती है।कई देश में तो पंद्रह साल में पांच पीएम बदल जाते हैं। ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक हाल में चुनाव में बुरी तरह हारे हैं। उनकी पार्टी चौदह साल से सत्ता पर थी, इस दौरान वहां पांच पीएम बदले गए। सत्ता बचाने की चुनौती सुनक के सामने थी और पंद्रह साल सरकार के बाद सत्ता बचाना बहुत ही मुश्किल होता है। यही हुुआ ब्रिटेन की जनता ने सुनक की पार्टी को सत्ता से हटा दिया। इसी तरह अमरीका,आस्ट्रेलिया,जर्मनी,न्यूजीलैंड आदि देशों में भी दस साल में पीेएम बदल गए हैं। क्योंकि तीसरी बार सत्ता पर लौटना आसान नहीं होता है।नेता से जनता ऊब गई होती है उसकी खिलाफ नाराजगी बड़ जाती है। यही वजह है कि देश की बात हो या विदेशों की बात है,किसी पार्टी,. किसी नेता के तीसरी बार सत्ता में लौटन को बड़ी घटना माना जाता है।
विश्व के कई देशोें में पिछले दस सालों में दो बार चुनाव हो चुके हैं उसमें भारत ही ऐसा देश है चहां नरेंद्र मोदी तीसरी बार पीएम बने है्। तीसरी बार चुनाव में बहुमत प्राप्त कर सत्ता में लौटे हैं। यह देश ही नहीं विश्व राजनीति में भी एक ऐतिहासिक घटना है। इससे पीएम मोदी का कद देश ही नहीं विदेश में बढ़ा है, वह इस ऐतिहासिक सफलता के साथ देश के तमाम नेताओं से बड़े नेता के रूप में स्थापित हो गए है्ं। उनके मुकाबले का कोई नेता नही है, इसलिए उनके मुकाबले में राहुल गांधी को लाने के लिए कांग्रेस और उसके इको सिस्टम ने मोदी की सफलता की बड़ी घटना को छोटी घटना बताने का प्रयास किया है। पीएम मोदी को तिहाई पीेएम, चुनाव में मोदी की नैतिक हार हुई है, कहकर पीएम मोदी के कद को कम करने का प्रयास किया गया है।
ऐसा इसलिए किया गया है कि क्योंकि कांग्रेस व राहुल गाधी की तीसरी बार शर्मनाक हार हुई है। इस शर्मनाक हार को छिपाने के लिए ही इस झूठ का प्रचार किया गया है कि इस चुनाव में 99 सीटें जीतने वाले राहुल गांधी विजेता है और 240 सीटें जीतने वाले पीएम मोदी तो हारे हुए नेता है। कांग्रेस का यह झूठ कुछ दिन ही चला जैसे की मोदी ने तीसरी बार शपथ ली, कांग्रेस के झूठ का पर्दाफाश हो गया। इसके कांग्रेस ने कमजोर सरकार,कमजोर पीएम का राग अलापा।वह भी काम नहीं आया। पीएम मोदी ने अपने पुराने मंत्रियों को न बदलकर कांग्रेस को बता दिया कि मोदी की सरकार उतनी ही मजबूत है, जितनी पहले थी।
ओम बिरला को स्पीकर बनवा कर यह संदेश दे दिया कि वह मजबूत पीएम है, और उनकी सरकार मजबूत सरकार है।इस मजबूत सरकार की छबि खराब करने के लिए राहुल गांधी व कांग्रेस झूठ का सहारा भी ले रहे हैं। उनके झूठ की पोल खुलतेे ही उनकी की छवि खराब हो रही है। अग्निवीर के मामले में राहुल गांधी ने संसद में झूठ बोला, तो उनकी झूठ की पोल तो संसद में पहले रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने खोली। उसके बाद शहीद अग्निवीर के पिता ने भी सच्चाई बता दी जिससे साबित हुआ है कि कांग्रस व राहुल गांधी झूठ बोल रहे थे।इससे राहुल गाधी की छबि ही खराब हुई है। कांंग्रेस का समझने की जरूरत है कि झूठ की राजनीति से अप्लकालिक लाभ तो होता है लेकिन दीर्घकाल में नुकसान ही होता है। सच हमेशा सच रहता है और झूठ हमेशा झूठ ही रहता है। बड़ी घटना हमेशा बड़ी घटना रहती है, वह छोटी बताने से छोटी नहीं हो जाता है।
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