इस तरह के शक्ति प्रदर्शन का संदेश क्या है.........

Posted On:- 2024-07-23




सुनील दास

राजनीति में विपक्ष में कोई भी राजनीतिक दल हो,उसकी कोशिश तो यही रहती है कि वह जब भी मौका मिले या जब भी चाहे मौका बनाकर यह साबित किया जाए कि सरकार हर क्षेत्र में फेल है। सरकार की कोशिश रहती है कि प्रदेश में कोई भी बड़ी घटना हो जाए तो बताया जाए इसके पीछ साजिश है और इसमें विपक्ष के कुछ लोग भी शामिल हैं। दोनों की अपनी अपनी कोशिशें जारी रहती है और जनता को संदेश दिया जाता रहता है कि देखों हम जनहित में क्या कर रहे हैं। देखो हम राज्य हित में क्या कर रहे है।

बलौदाबाजार हिंसा राज्य की एक ऐसी ही बड़ी घठना है। इसके पीछे जो भी लोग हों, उनका मकसद तो यही था कि सरकार को कानून व्यवस्था के मामले में फेल बताना। बलौदाबाजार हिंसा के पीछे जो लोग थे, वह हिंसा व आगजनी के जरिए यह संदेश ें सफल रहे कि कानून व्यवस्था के मामले में राज्य व जिले की पुलिस सजग नहीं है। उसके बस की बात नहीं है राज्य व जिले में कानून व्यवस्था का बनाए रखना। विपक्ष तो मौके का तलाश में रहता है, उसे मौका मिला तो वह बलौदाबाजार हिंसा के लिए सरकार को ही दोषी ठहरा दिया है। उसका तो दो टूक कहना है कि बलौदाबाजार में जो कुछ हुआ उसके लिए सरकार व जिला पुलिस दोषी है। उन्होंने मामले को ठीक से हैंडल ही नही किया।

सरकार इसका जवाब विपक्ष को इस मामले में कार्रवाई कर देने में सफल रही है कि बलौदाबाजार हिंसा व आगजनी के पीछे जो भी लोग हैं, उनको बख्शा नहीं जाएगा। इस मामले में सौ से ज्यादा लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। सरकार को समझने की जरुरत है कि बलौदाबाजार हिंंसा मामले में महज गिरफ्तारी से कुछ नहीं होना है। उसे तो यह साबित भी करना पड़ेगा कि जो लोग गिरफ्तार किए गए है, वह बलौदाबाजार हिंसा व आगजनी मामले में दोषी भी है। इसके लिए जरूरी है  कि ठोस सबूत जुटाए जाएं, ऐसे सबूत जुटाए जाएं जिसके आधार पर दोषी साबित किया जा सके।

विपक्ष तो सरकार की हर जांच पर अविश्वास जताएगा, हर गिरफ्तारी को गलत बताएगा और समाज के लोगों को यह संदेश देेने  की कोशिश करेगा कि सरकार समाज के लोगो के साथ जो कुछ कर रही है गलत कर रही है। सरकार दोषी लोगों को पकड़ नहीं पा रही है, इसलिए वह बेगुनाह लोगों को गिरफ्तार कर रही है। ऐसे उदाहरण सामने लाए जाएंगे कि देखो यह युवक हिंसा व आगजनी के वक्त बलौदाबाजार में नहीं था, इसे पुलिस ने गिरफ्तार किया है। 

विपक्ष को जहां मौका मिलेगा वह जनता को यही बताने की कोशिश करेगा कि सरकार हर क्षेत्र में फेल है। चाहे मौका सदन के भीतर को हो या सड़क को हो। विधानसभा में तो विपक्ष चाहेगा ही नहीं ऐसा लगे कि सरकार बलौदाबाजार हिंसा पर गंभीरता से चर्चा कराना चाहती है। यही उसने विधानसभा में किया भी है। वह जानता था स्थगन प्रस्ताव तो स्वीकार किया नहीं जाएगा। उसे हंगामा करनेे का मौका मिलेगा और उसने जमकर हंगामा किया भी है। ऐसा करके उसने यह संदेश दिया है कि वह तो बलौदाबाजार हिंसा पर संदन में च्रर्चा चाहता है,लेकिन सरकार ही ऐसा नहीं चाहती है।

विपक्ष विधानसभा के बाहर भी इसी तरह सरकार के खिलाफ शक्ति प्रदर्शन कर यह संदेश देना चाहता है कि वह तो राज्य में बढ़ते  अपराध व खराब कानून व्यवस्था को लेकर चिंतित  हैं लेकिन सरकार को कोई चिंता नहीं है। विधानसभा घेराव के जरिए भी विपक्ष यही संदेश देना चाहता है कि राज्य में बढ़ते अपराध को रोकना उसके बस की बात नहीं है। कानून व्यवस्था बनाए रखने में वह असफल है.,हर राज्य में कुछ बड़ी घटनाएं होती है चा कराई जाती है, जब भी ऐसा होगा तो विपक्ष कानून व्यवस्था व बढ़ते अपराध की बात सरकार को सवालों के कठघरे में खड़ा करेगा।

सरकार का काम विपक्ष को गलत साबित करना है तो वह बयानो के जरिए इसे साबित नहीं कर सकती है।उसे तो फील्ड में काम करके बताना होगा कि पिछली सरकार की तुलना में राज्य मेें अपराध कम हुए हैं। कानून व्यवस्था भी पिछली सरकार के समय से बेहतर है। साय सरकार ने जिस तरह नक्सलियों के सफाए के लिए योजना बनाकर काम किया है। उसी तरह उसे राज्य मेें कानून व्यवस्था व अपराध कम करने के लिए भी योजना बनाकर काम करना होगा। अपराधियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर उनमें खौफ पैदा करना होगा। हर अपराध के मा्मले में अपराधी को सजा दिलाकर यह एहसास दिलाना होगा कि छत्तीसगढ़ में अपराध करके कोई बच नहीं सकता है। पिछली सरकार ऐसा नहीं कर पाई थी। साय सरकार के पास अभी बहुत समय है वह चाहे तो ऐसा कर सकती है।



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